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मैं चाहता हूं, 2021 का वर्ष न्यूजीलैंड में भारत का वर्ष हो : श्री मुक्तेश परदेशी

 

 

 

 

 

भारतीय उच्चायुक्त,इंडियन हाई कमिशन, न्यूजीलैंड से आलोक गुप्ता की बातचीत

 

 

 

 

 

न्यूजीलैंड में रह रहे भारतीय मूल के लोग भाग्यशाली हैं कि गत कुछ वर्षों में उन्हें अत्यंत संवेदनशील, प्रतिभाशाली एवं अपनी जिम्मेदारी के प्रति बहुत ही सजग भारतीय उच्चायुक्तों की नियुक्ति का लाभ मिल रहा है| वर्ष 2019 के मध्य में न्यूजीलैंड में इंडियन हाई कमिश्नर के पद पर श्री मुक्तेश परदेशी जी ने, पदभार संभाला| तब से इंडियन हाई कमीशन, एक निश्चित रोड-मैप के साथ न्यूजीलैंड में चौतरफा अपना प्रभाव अंकित कर रहा है|फिर चाहे वह न्यूजीलैंड के साथ राजनयिक संबंध हों या व्यवसायिक परस्परता, या फिर भारतीय समुदाय के लोगों के साथ ज्यादा विश्वास और निकटता का संबंध ही क्यों ना हो|
भारत में एक सफल पासपोर्ट ऑफिसर के रूप में कार्य करने के उपरांत, मुक्तेश जी मेक्सिको में हाई कमिश्नर के पद पर रहे और फिर वहाँ से न्यूजीलैंड आए| मुक्तेश जी ना केवल बेहद सहज, सुसंस्कृत एवं आत्मीय व्यक्तित्व के स्वामी हैं, बल्कि उतने ही सजग, सुलझे हुए और अपने काम को अंजाम तक पहुंचाने की जिद्द लिए हुए भी प्रतीत होते हैं|
तो आइए, मुक्तेश जी से,‘इंडियंज एक्सप्रेस’ अखबार के लिए किए गए इस साक्षात्कार के माध्यम से जानते हैं कि यह वर्ष उनके लिए कितना चुनौतीपूर्ण रहा, और आने वाले वर्ष 2021 को लेकर उनकी क्या योजनाएं हैं-
प्रश्न: कोविड-19 के चलते यह वर्ष इंडियन हाई कमीशन के लिए किस तरह भिन्न और चुनौतीपूर्ण रहा?
उत्तर: वर्ष 2020 की शुरुआत, हमारे लिए बहुत ही सकारात्मक रही,मुझे याद है जनवरी माह में 26 जनवरी के दिन हमारे गणतन्त्र दिवस पर न्यूजीलैंड के माननीय विदेश मंत्री ने हमारे कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई थी|और फरवरी माह में तात्कालिक विदेश मंत्री एवं उप प्रधानमंत्री श्री विंस्टन पीटर्स अपना एक प्रतिनिधिमंडल लेकर भारत की सफल यात्रा पर गए जिसमें की न्यूजीलैंड के व्यापार मंत्री भी शामिल थे| यह डेलिगेशन पूरी दुनिया में कहीं भी जाने वाला न्यूजीलैंड का कोविड-19 संक्रमण आने से पहले का अंतिम डेलिगेशन था|
फिर कोविड-19 के लॉकडाउन समाप्त होने के बाद, हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती, न्यूजीलैंड में फंसे भारतवासियों के स्वदेश वापसी की रूपरेखा तैयार करने की थी| जिसे हमने ‘वंदे भारत’ मिशन के तहत सफलतापूर्वक अंजाम दिया| इस मिशन के चलते हमने अब तक भारत और न्यूजीलैंड के बीच लगभग 7000 लोगों का विस्थापन किया|जो की अभी भी जारी है|
साथ ही लॉकडाउन के दौरान सात देशों का एक अनौपचारिक समूह एक्टिव हुआ, जिसमें की अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, कोरिया, वियतनाम, न्यूजीलैंड और भारत शामिल थे| इसमें फॉरेन सेक्रेट्री लेवल के अधिकारियों ने लगातार आपसी संपर्क कायम रहा| इस संपर्क का मुख्य बिंदु यह था कि किसी भी तरह कोविड-19 संक्रमण काल के दौरान, किसी भी एसेंशियल आइटम्स की सप्लाई चेन अवरुद्ध ना हो|उदाहरण के लिए,न्यूजीलैंड में उन दिनों पेरासिटामोल की एकदम कमी हो गई थी, जिसके चलते न्यूजीलैंड सरकार ने हमें अप्रोच किया|उन दिनों हालांकि, प्रत्येक देश अपनी खुद की खपत को लेकर, चिंतित था| लेकिन भारत सरकार ने न्यूजीलैंड सरकार के आग्रह को स्वीकारा, और उस मुश्किल समय में न्यूजीलैंड की मदद की। और दवाई की सप्लाइ को निरंतर बरकरार रखा|
जब हमें लॉकडाउन से थोड़ी राहत मिली, तो मैंने सोशल डिस्टेंसिंग के चलते, वेबीनार के माध्यम से भारत और न्यूजीलैंड के बीच, व्यापार की निरंतर नई संभावनाओं को तलाशने का काम किया|इन वेबीनार के माध्यमों से भारत के व्यापार मंत्रालय, और व्यापार संबंधी संस्थाओं जैसे CII, FICCI ने विशेष रुप से न्यूजीलैंड के संदर्भ में विचारों का आदान प्रदान किया|इससे बहुत जागरूकता आई| पिछले तीन-चार महीनों में मेरा निरंतर यह प्रयास रहा है कि दोनों देशों के बीच बिजनेस अवेयरनेस को बढ़ाने का प्रयास किया जाए|
इसी तरह हाल के कुछ महीनों में न्यूजीलैंड की सभी यूनिवर्सिटी में मैं व्यक्तिगत रूप से गया, और वहां मैंने प्रमुख रूप से तीन बिंदुओं पर चर्चा की- प्रथम, हमारे भारत के विद्यार्थी, जोकि कोविड-19 की वजह से बहुत ही असहज स्थिति में थे उन्हें क्या सहायता चाहिए इस पर चर्चा की। दूसरे इन विश्वविद्यालयों में जो भी भारतीय मूल के प्रोफेसर हैं उनसे संपर्क साधा, जिसके चलते आज हमारे पास ऐसे 150 प्राध्यापकों का डेटा-बेस मौजूद है|मैंने उनसे व्यक्तिगत मुलाकात करके आग्रह किया कि वह भारत में जहां से भी आए हैं, वहां के अपने पूर्व विश्वविद्यालय से संपर्क साधें, इसका लाभ यह होगा कि जो भी संबंध और संपर्क विश्वविद्यालयों के बीच इन प्राध्यापकों के माध्यम से बनेगा वह इन दोनों देशों के बीच एक बहुत ही मैच्योर निकटता लायेगा|और मेरा तीसरा प्रयास,भारत और न्यूजीलैंड के विश्वविद्यालयों के बीच परस्पर तालमेल और संधियाँ का अवसर प्रदान कराना|उदाहरण के लिए, न्यूजीलैंड के विदेश मंत्री और उप प्रधानमंत्री फरवरी में भारत यात्रा पर गए थे तो उनके प्रयास से दिल्ली आईआईटी में एक न्यूजीलैंड सेंटर की स्थापना हुई है| इस सेंटर के माध्यम से दोनों देशों के बीच रिसर्च के क्षेत्र में हो रही प्रगति, आपसी तालमेल और सामंजस्य पर नजर रखी जाएगी, तथा इसे और बेहतर और विस्तीर्ण करने का भी प्रयास यह सेंटर करेगा|
तो आज मैं कह सकता हूं कि कोविड के चलते चुनौती तो आई, लेकिन उसके साथ ही हमारे लिए नए अवसरों का भी सूत्रपात हुआ|
प्रश्न: कृपया ‘वंदे भारत’ मिशन पर कुछ और प्रकाश डालें, क्या अब यह समाप्त हो गया है?
उत्तर: ‘वंदे भारत’ मिशन, जब तक इंटरनेशनल एयर ट्रैवल नॉर्मल नहीं होता, तब तक यह जारी रहेगा| डिमांड और सप्लाई के आधार पर, इंटेंसिटी और फ्रीक्वेंसी में फर्क जरूर आवेगा| अभी तक कुल 20 से ज्यादा फ्लाइट्स का भारत और न्यूजीलैंड के बीच आवागमन हो चुका है| हाल के कुछ महीनों में भारत सरकार ने कुछ प्राइवेट एयर ट्रैवल ऑपरेटर्स को भी चार्टर्ड फ्लाइट की मंजूरी देना प्रारंभ कर दिया है|सितंबर माह तक हमारे ऊपर काफी दबाव था|लेकिन उसके उपरांत जैसे ही लोगों के वीसा एक्सटेंड होना प्रारंभ हुए, तो भारत वापसी की संख्या में काफी गिरावट आई| सितंबर माह की अंतिम एयर इंडिया फ्लाइट में तो केवल 60 भारतीय ही स्वदेश वापसी कर रहे थे|
प्रश्न: क्या भारतीय हाई कमीशन के पास न्यूजीलैंड में भारतीय विद्यार्थियों की संख्या एवं हर वर्ष भारतीय पर्यटकों की न्यूजीलैंड आने की संख्या के कुछ आंकड़े हैं?
उत्तर: हमारी रिसर्च के अनुसार कुछ वर्ष पूर्व भारतीय विद्यार्थियों की न्यूजीलैंड में आकर विद्यार्जन करने की संख्या ने लगभग 30 हजार का सर्वाधिक आंकड़ा छुआ था| हाल के वर्षों में लगभग 20 से 22 हजार भारतीय विद्यार्थी न्यूजीलैंड में शिक्षा का लाभ ले रहे हैं| इसी तरह पर्यटन के क्षेत्र में लगभग 70 से 75 हजार भारतीय पर्यटक हर वर्ष न्यूजीलैंड के प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले रहे हैं|लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि लगभग इतनी ही संख्या में कीवी भी भारत की संस्कृति, इतिहास और उसके विस्तीर्ण सौंदर्य का अनुभव हर वर्ष करते हैं|जिसका की प्रत्यक्ष प्रमाण हमें हाल ही में देखने को मिला, जैसे जितने भारतीय ‘वंदे भारत’ मिशन के चलते भारत वापसी कर रहे थे, उतने ही कीवी भारत से न्यूजीलैंड आ रहे थे, अतार्थ दोनों तरफ से यह फ्लाइट्स फुल आ-जा रही थीं|
प्रश्न: न्यूजीलैंड में बसे भारतीयों से हाईकमीशन की संपर्क की प्रक्रिया में क्या सुधार है, और उसके क्या परिणाम है?
उत्तर: मेरा हमेशा मानना है कि किसी भी देश में बसे भारतीय उस देश के लिए हमारे ब्रांड एंबेसडर होते हैं| इसी विचारधारा के चलते, हमने अपनी सेवाओं में उनके लिए बहुत सुधार किया है| हमने वेलिंगटन और अॉकलैंड में ऐसी कई सभाएं आयोजित की जिससे कि उनसे सीधा संपर्क साधा जा सके और डायरेक्ट फीडबैक मिले|इसी का परिणाम रहा कि हमने डिजिटल पेमेंट लेने की शुरुआत की|पहले कैश पेमेंट या बैंक ड्राफ्ट, ही माध्यम था| इस परिवर्तन से लोगों को बहुत सुविधा हुई है| इसी तरह पहले लोगों को अपना ओरिजिनल पासपोर्ट भेजना होता था, उसकी जगह हमने अब कहा है की आप पासपोर्ट की कलर फोटो-कॉपी को, किसी भी जे पी से अटेस्ट करवा कर ईमेल के माध्यम से भेज सकते हैं| हमने साथ ही, व्हाट्सएप, फेसबुक मैसेंजर, ट्विटर आदि सोशल मीडिया के माध्यम से भी संदेश एवं फीडबैक लेना प्रारंभ किया| इन सब सुधारों का परिणाम यह है कि अब जब भी लोग हमसे मिलते हैं, तो शिकायतों की जगह प्रमुखत: संतोष का भाव प्रगट करते हैं|
प्रश्न: कई बार स्थानीय मीडिया द्वारा भारतीय मूल के व्यवसायियों को लेकर काफी नकारात्मक और भारत की छवि को धूमिल करने वाली रिपोर्ट्स प्रकाशित होती हैं|ऐसी स्थिति में भारतीय हाई कमीशन का क्या रोल होता है| और इससे संबद्ध भारतीयों को अपने आचरण में सुधार हेतु किस प्रकार समझाइश दी जा सकती है?
उत्तर: देखिए जैसा कि मैंने पूर्व में कहा कि जो भी भारतीय यहां आकर बसे हैं, वह एक तरह से हमारे ब्रांड एंबेसडर हैं| उनकी छवि यहां भारत की छवि से जुड़ी है| अत: मेरा सब से आग्रह है कि अच्छा आचरण, व्यवहार, नियमों के दायरे में रहकर जीवन यापन करना, ना केवल हम सबके लिए, वरन हमारी भावी पीढ़ी के लिए भी परम आवश्यक है| अगर हम सब मिलकर एक अच्छा समाज निर्मित करते हैं तो इसमें हम सबका ही हित है|जिस तरह एक अच्छे काम के लिए, आपकी सराहना और आपके देश का सम्मान भी बढ़ता है, उसी तरह नकारात्मक क्रत्य भी सब को आहत करता है| अतः हम सबकी यह नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि हम समाज का एक अच्छा नागरिक बन सबके लिए एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करें|
प्रश्न: वर्ष 2021 को आप कैसा देखते हैं?
उत्तर: 2021 को लेकर हमारे बहुत सारे मंसूबे हैं|यह इस बात पर निर्भर करेगा कि कोविड-19 को लेकर क्या परिस्थितियां बदलती हैं| अगले वर्ष हाई कमीशन को अपना खुद का भवन मिल जाएगा, जिसका कि वर्तमान में निर्माण कार्य जोर-शोर से चल रहा है|इस भवन के पूर्ण होते ही यह अपने आप में राजनयिक, सामयिक, सांस्कृतिक और सामुदायिक गतिविधियों का केंद्र बन जाएगा| इस साल न्यूजीलैंड में फेस्टिवल ऑफ इंडिया मनाने की हमारी योजना थी, जो कोविड के कारण पूरी नहीं हो पाई| लेकिन अब हम उसे 2021 में अपने खुद के भवन में मनाने की तैयारी कर रहे हैं| हमारा प्रयास रहेगा कि भारत के विदेश मंत्री आकर इस भवन का उद्घाटन करें, और साथ ही इस माध्यम से हम भारत और न्यूजीलैंड के बीच 70 वर्ष के रिश्तों को और प्रगाढ़ कर सकें|ऑकलैंड इंडियन एसोसिएशन भी अपने अस्तित्व के 100 वर्ष पूर्ण कर रहा है, तो हमारा प्रयास रहेगा कि इस उपलब्धि को भी हम भारत और न्यूजीलैंड के बीच के संबंधों के अतीत, वर्तमान और भविष्य को लेकर विचार मंथन कर सेलिब्रेट करें|मैं चाहता हूं कि 2021 का वर्ष न्यूजीलैंड में भारत का वर्ष हो|
प्रश्न: आप भारतीय समुदाय को क्या संदेश देना चाहेंगे?
उत्तर: आपके अखबार के माध्यम से मैं अपने भारतीय समुदाय के लोगों को यह कहना चाहूंगा कि आपसी भाईचारा और एकता बहुत आवश्यक है, जब आप भारत से बाहर निकलते हैं तो एक तरह से आप दुनिया में भारत के प्रतिनिधि होते हैं|आपका प्रभाव, भारत की गरिमा है|भारत और न्यूजीलैंड, इन दोनों देशों को और करीब लाने में आप हाई कमीशन के साथ जुड़े रहें और इन संबंधों को नई ऊंचाइयां प्रदान करने में हमारा सहयोग इसी तरह करते रहें|