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भारतीय वायुसेना प्रमुख RKS भदौरिया को बांग्लादेश ने दिया बड़ा सम्मान, मीरपुर हॉल ऑफ फेम में किया शामिल


चार दिवसीय यात्रा पर ढाका पहुंचे भारतीय वायुसेना प्रमुख राकेश कुमार सिंह भदौरिया को बांग्लादेश एयरफोर्स ने विशेष सम्मान दिया है। बांग्लादेश के डिफेंस सर्विसेज कमांड एंड स्टाफ कॉलेज (DSCSC) ने एयरचीफ मॉर्शल भदौरिया को ‘मीरपुर हॉल ऑफ फेम’ में शामिल किया है। भदौरिया ने 1997-98 में मीरपुर में इस कॉलेज से 18वें एयर स्टाफ कोर्स में हिस्सा लिया था।
बांग्लादेश थलसेना प्रमुख से की मुलाकात : बुधवार को एयरचीफ मॉर्शल भदौरिया ने बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल अजीज अहमद से भी मुलाकात की। 1971 के युद्ध के दौरान और उसके बाद दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच की मित्रता को लेकर बात की। इसके अलावा जनरल अजीज और एयरचीफ मॉर्शल भदौरिय द्विपक्षीय सहयोग को और मजबूत करने के तरीकों पर भी चर्चा की।
स्‍वदेशी डिफेंस इक्विपमेंट्स के एक्‍सपोर्ट पर करेंगे बात : राकेश कुमार सिंह भदौरिया अभी बांग्लादेश के कई एयरबेस का दौरा भी करने वाले हैं। इसके अलावा भदौरिया अपने इस दौरे पर स्‍वदेशी डिफेंस इक्विपमेंट्स के एक्‍सपोर्ट पर भी बांग्लादेश के अधिकारियों से बात कर सकते हैं। एरो इंडिया-2021 के दौरान बांग्लादेश के वायुसेना अध्यक्ष एयर चीफ मार्शल मसीहुज्जमां सेरनियाबत भारत पहुंचे थे। उन्होंने भारत के स्वदेशी एयरक्राफ्ट तेजस में उड़ान भी भरी थी। तब ऐसी रिपोर्ट थी कि बांग्लादेश ने तेजस को खरीदने में रूचि दिखाई थी।
चीन से बढ़ रही बांग्‍लादेश की नजदीकी : शेख हसीना के दोबारा प्रधानमंत्री बनने के बाद बांग्‍लादेश के तेवर जरा बदले हैं। अब वह चीन के इन्‍फ्रा प्रॉजेक्‍ट्स को तवज्‍जो दे रहा है। पिछले साल बांग्लादेश ने सिलहट में एयरपोर्ट टर्मिनल का ठेका चीनी कंपनी को दे दिया। जबकि सिलहट भारत की उत्तर-पूर्व सीमा से सटा है और संवेदनशील इलाका माना जाता है। इसकी मदद से चीन भारत के पूरे नॉर्थ ईस्ट इलाके पर नजर रखने का प्लान बना रहा है।
बंगाल की खाड़ी में अपनी उपस्थिति बनाना चाहता है चीन : चीन बंगाल की खाड़ी में भारत को घेरने के लिए हर हाल में अपनी उपस्थिति बनाना चाहता है। यही कारण है कि म्यांमार में सैन्य तख्तापलट की पूरी दुनिया ने आलोचना की लेकिन, चीन ने हर कदम पर म्यांमार की सेना का पक्ष लिया। उसने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और मानवाधिकार परिषद में म्यांमार सेना की आलोचना करने वाले प्रस्ताव पर वीटो किया था। आंग सांग सू की की सरकार चीन के प्रोजक्ट्स को मंजूरी नहीं दे रही थी, जिससे बांग्लादेश तक चीन के पहुंचने का सपना प्रभावित हो रहा था।