कोर्ट ने कंपनी के उस डिसीजन को बरकरार रखा है जिसमें उसे नौकरी से निकाला गया था। श्रेया ने दावा किया कि ट्रिब्यूनल ने पाया कि विप्रो लीडरशिर टीम ने उसे परेशान किया। साथ ही जेंडर के आधार पर भेदभाव किया। वहीं, उसे कंपनी के दूसरे इम्प्लॉईज के समान सैलरी नहीं दी। कोर्ट अब अगले महीने हर्जाना के बारे में फैसला सुनाएगा। श्रेया 2014 तक विप्रो के यूरोप सेल्स डिपार्टमेंट में हेड थी। इसके पहले श्रेया बेंगलुरू में काम करती थी। 2010 में उसका ट्रांसफर लंदन कर दिया गया था।
2014 तक वह कंपनी में 10 साल तक सर्विस दे चुकी थी। श्रेया ने तब आरोप लगाया था कि ऑफिस के कुछ कलीग्स उसकी बॉडी और आउटफिट को लेकर भद्दे कमेंट करते हैं। कलीग्स उसे ‘श्रिल’, ‘शैलो’ और ‘अनयूरोपियन’ के साथ ‘बिच’ कहकर बुलाते थे। श्रेया का आरोप था कि कंपनी के सीनियर अफसर मनोज पुंजा ने अपने साथ अफेयर के लिए मजबूर किया। मुझे यूरोप में काम करने के लिए जाने नहीं दिया जाता था। सीनियर अफसर मनोज पुंजा ने उससे सैक्स रिलेशन बनाने के लिए भी मजबूर किया था। श्रेया ने कहा कि उम्मीद है कि कोर्ट के इस फैसले के बाद अब कंपनियां महिला कर्मचारियों को लेकर सहीं व्यवहार पर गौर करेंगी और उनको भी बराबरी का हक मिलेगा।