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Pattern of Universe: अलग-अलग तरह के गैलेक्सी क्लस्टर… क्या किसी पैटर्न में रचा गया है ब्रह्मांड?

दशकों से खगोलविदों के मन में यह सवाल रहा है कि क्या ब्रह्मांड हर जगह एक सा है? हमारी आकाशगंगा Milky Way और उसकी सबसे करीबी गैलेक्सी Andromeda के बीच दूरी से अंदाजा लगा था कि हमारा ब्रह्मांड कितना विशाल है। उन्हें पता चला कि कहां-कहां गैलेक्सी फैली हुई हैं। ऐसे में सवाल उठा कि गैलेक्सीज की स्थिति का क्या कोई पैटर्न है या ये कहीं भी मिलती हैं?
पैटर्न को समझने की शुरुआत : पहले माना जाता था कि ये कहीं भी मिल जाती हैं। ऐस्ट्रोनॉमर्स ने कई विशाल गैलेक्सी क्लस्टर देखे जिनमें हजारों गैलेक्सीज होती हैं। कुछ छोटे समूह भी थे। इन्हें देखकर नहीं लगा कि कोई पैटर्न होता है। 1970 के दशक में गैलेक्सी सर्वे की मदद से पैटर्न को समझने की शुरुआत हुई। क्लस्टर के अलावा पतले-पतले धागों जैसे समूहों में भी गैलेक्सीज पाई गईं। इससे पता लगा कि ब्रह्मांड के कुछ हिस्से दूसरों से अलग हैं।
रिसर्चर्स का मानना है कि LMC के पीछे रह गए मटीरियल में सिर्फ सितारे नहीं बल्कि कुछ और भी है जो दिख नहीं रहा। उनका मानना है कि यह डार्क मैटर हो सकता है। माना जाता है कि डार्क मैटर से ही ब्रह्मांड का ज्यादातर हिस्सा बना है और इसे सिर्फ गुरुत्वाकर्षण के असर से ऑब्जर्व किया जा सकता है, सीधे देखा नहीं जा सकता। स्टडी के सह-लेखक यूनिवर्सिटी ऑफ ऐरिजोना के डॉक्टर स्टूडेंट निकोलस गारावीटो कमार्गो का कहना है कि यह डार्क मैटर हो सकता है जो सितारों को अपने साथ ले जा रहा है।
डार्क मैटर के असर से गैलेक्सी के घूमने के बाद भी सितारे और ग्रह अंतरिक्ष में इधर-उधर बहने नहीं लगते हैं। रिसर्चर्स को उम्मीद है कि इसे स्टडी करके डार्क मैटर को भी समझा जा सकता है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के ऐस्ट्रॉनमी प्रफेसर चार्ली कॉनरॉय का कहना है कि यह किसी नाव के चलने के जैसा है। उनका कहना है कि किसी नाव के आगे बढ़ने से पीछे बने रास्ते के आधार पर समझा जा सकता है कि नाव पानी में चल रही है या शहद में। इसी आधार पर डार्क मैटर को समझने की कोशिश की जा सकती है।
नए मैप और दूसरे रिसर्चर्स के बनाए मॉडल के आधार पर टीम डार्क मैटर की थिअरी को साबित करने के काम में लगे हैं। यह मैप अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA और यूरोपियन स्पेस एजेंसी ESA के टेलिस्कोप से मिले डेटा के आधार पर तैयार किया गया है। इससे यह भी पता चलता है कि यह गैलेक्सी धीमी गति से आकाशगंगा की ओर बढ़ रही है और इसकी कक्षा कम होती जा रही है। यह 2 अरब साल बाद आकाशगंगा से टकराएगी। दो गैलेक्सीज का विलय ब्रह्मांड में एक आम घटना है। आकाशगंगा 8 अरब साल पहले भी एक छोटी गैलेक्सी से टकरा चुकी है।
अडवांस्ड सर्वे की जरूरत : गणितज्ञ बेनोइ मैंडलब्रूट ने संभावना जताई कि ब्रह्मांड में ऐसा पैटर्न होगा जो कुछ दूरी पर एक जैसा होगा। ऐसे में यह संभावना भी पैदा होती है कि अलग-अलग तरह के गैलेक्सी समूह एक बड़े पैटर्न का हिस्सा हों। ज्यादा अडवांस्ड सर्वे की मदद से इसे समझा जा सकेगा और पूरे ब्रह्मांड के पैटर्न को खोजा जा सकेगा। वैज्ञानिकों का मानना है कि पहले कि तुलना में समझी गई ब्रह्मांड की एकरूपता दरअसल ज्यादा विशाल है।
Andromeda 2 लाख प्रकाशवर्ष बड़ी है और इसमें एक ट्रिलियन सितारे हैं जबकि Milky Way इसकी आधी है। एक लाख प्रकाशवर्ष बड़ी इस आकाशगंगा में 250 अरब सितारे हैं। जब दोनों आपस में टकराएंगी तो और बड़ा सितारा समूह पैदा होगा जिसे Milkomeda कहा जाएगा। यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) के मुताबिक दो अरब साल में दोनों आकाशगंगाएं एक दूसरे में मिल जाएंगी और हमारी धरती, सूरज और पूरे सौर मंडल को नया घर मिल जाएगा।
जब यह टक्कर होगी तो हमारा रात का आसमान पहचाना नहीं जा सकेगा साल 2012 में ऐस्ट्रोनॉमर्स ने संभावना जताई थी कि इस टक्कर से हमारा सूरज गैलेक्सी के किसी और कोने में पहुंच जाएगा। हालांकि, इससे हमारा सौर मंडल बिगड़ेगा नहीं। यह बात अलग है कि इस टक्कर को देखने के लिए मानवजाति रहेगी, यह काफी हद तक नामुमिकन है। (दोनों आकाशगंगाओं की टक्कर की काल्पनिक तस्वीर: NASA)
चार से पांच साल बाद सूरज विशाल लाल तारा बन जाएगा। अपने आखिरी वक्त में इसके ईंधन खत्म हो जाएगा और यह बुध और शुक्र को खा जाएगा। इसका असर धरती पर भी होगा। इससे पहले Milkomeda कैसे दिखेगी, यह ESA और NASA ने अपनी तस्वीरों में दिखाया है। ESA ऐस्ट्रोनॉमर्स का कहना है कि आकाशगंगाओं का विलय शुरुआती ब्रह्मांड में ज्यादा होता था। यह ब्रह्मांड के विकास का बड़ा हिस्सा होता है। इसमें नए सितारे जन्म लेते हैं और पुराने मर भी जाते हैं। (तस्वीर: ब्रह्मांड में टकरातीं दूसरी आकाशगंगाएं NASA ESA)
हो सकता है जटिल सिस्टम : इस पैटर्न की खोज में अभी वक्त लग सकता है। सदी के आखिर तक इसे लेकर ठोस जानकारी मिल सकती है। अभी महाविशाल स्लोआन डिजिटल स्काई सर्वे ने करोड़ों गैलेक्सीज की स्थिति बताई है जो पहले कभी नहीं किया गया था। अगर पैटर्न पाए गए जो एक जटिल सिस्टम का खुलासा होगा। कुछ चीजों में पैटर्न अभी दिखता है। डजैसे डार्क मैटर के हेलो जिनके अंदर गैलेक्सी और क्लस्टर होते हैं। जहां कुछ नहीं होता वहां छोटी गैलेक्सी होती हैं।