रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि रूस की कोविड-19 वैक्सीनें AK-47 की तरह भरोसेमंद हैं। न्यूज एजेंसी TASS के मुताबिक रूस ने अब तक कोरोना वायरस की चार वैक्सीनों को मंजूरी दे दी है। TASS ने पुतिन के हवाले से लिखा, वे AK-47 जितनी भरोसेमंद हैं। यह हम नहीं, एक यूरोपियन स्पेशलिस्ट ने कहा है और मुझे लगता है कि वह पूरी तरह सही है।’ AK-47 दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेला किए जाने वाले हथियारों में से एक है।
क्या आप मैथ एक्सपर्ट हैं ? क्विज खेलिए और जीतें : एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान उपप्रधानमंत्री तात्याना गोलिकोवा ने पुतिन के हवाले से बताया, ‘हमारा मेडिकेशन ऐसी तकनीक और प्लैटफॉर्म पर आधारित है जिसे दशकों से इस्तेमाल किया जा रहा है। वे बहुत मॉडर्न और अप-टू-डेट हैं। इसमें कोई शक नहीं है कि वे सबसे ज्यादा भरोसेमंद और सुरक्षित है।’
एक खुराक की वैक्सीन मंजूर : इससे पहले रूस ने कोविड-19 रोधी अपने टीके Sputnik V की एक-खुराक वाले संस्करण को बृहस्पतिवार को यह तर्क देते हुए नियामक मंजूरी प्रदान कर दी कि इस कदम से कोरोना वायरस के खिलाफ सामूहिक प्रतिरक्षा प्राप्त करने की प्रक्रिया में तेजी आ सकती है। टीके के इस संस्करण का नाम ‘स्पूतनिक लाइट’ है और यह दो-खुराक वाले Sputnik V की पहली खुराक के समान है। इसे अभी तक स्थापित वैज्ञानिक प्रोटोकॉल के अनुरूप इसकी सुरक्षा और प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक उन्नत परीक्षण पूरा करना बाकी है।
इस अध्ययन की मानें तो कोरोना से रिकवर होने के बाद कोरोना के मरीज लंबे समय तक इसके लक्षणों और खराब सेहत से ग्रस्त हो रहे हैं।
कोरोना से लड़कर ठीक होने के बाद बच्चों को लंबे समय तक इसके लक्षणों से जूझना पड़ रहा है। यहां तक कि जिन बच्चों में हल्के लक्षण दिखे हैं, उन्हें भी लंबे समय तक बीमार रहने की परेशानी हो रही है।
कोरोना होने के बाद रिकवर होने पर भी बच्चों में कुछ लक्षण दिखाई दे रहे हैं, जो उन्हें लंबे समय तक प्रभावित कर रहे हैं। आगे जानिए कि 16 साल से कम उम्र के बच्चों में पोस्ट-कोविड के क्या लक्षण हैं।
कोरोना के बाद वयस्कों को बहुत ज्यादा थकान महसूस हो रही है और अध्ययनों की मानें तो बच्चों में भी ऐसा होने लगा है। कोरोना से ग्रस्त होने के बाद बच्चों को थकान, जोड़ों, जांघों, सिर, हाथों और पैरों में दर्द महसूस हो रहा है। कुछ मामलों में बच्चों में 5 महीने से भी ज्यादा समय तक थकान बनी रह सकती है।
नींद पूरी न होने या गहरी नींद न आने पर दो से 16 साल के बच्चों का विकास प्रभावित हो सकता है और उनमें बौद्धिक और विकासात्मक कमी आ सकती है। कोरोना वायरस से लड़ रहे बच्चों में भी अब नींद आने में दिक्कत की परेशानी देखी जाने लगी है। कोरोना से ग्रस्ट 7 पर्सेंट से भी ज्यादा बच्चों को किसी न किसी तरह की नींद से जुड़ी परेशानी हो रही है।
वायरस होने के बाद डर, चिंता और आइसोलेट होने की वजह से भी बच्चे परेशान हैं जिसका असर उनकी नींद पर पड़ रहा है। कोरोना से अनिद्रा की समस्या वयस्कों के साथ-साथ बच्चों में भी हो रही है।
लंबे समय तक कोरोना से पीडित रहने वाले बच्चों में चिड़चिड़ापन होने का खतरा भी ज्यादा है। इससे आने वाले सालों में उन्हें मूड स्विंग्स की दिक्कत हो सकती है। लगभग 10 पर्सेंट बच्चों ने याद्दाश्त में दिक्कत आने, ज्यादा थकान महसूस होने और ध्यान लगाने में दिक्कत होने की बात कही है। इससे बच्चों की जीवन का स्तर भी गिर सकता है।
इसके अलावा कोरोना के बाद बच्चों में चक्कर आने और नसों से संबंधित समस्याएं भी हो सकती है। बच्चों के कोरोना से ठीक होने के बाद तेज सिरदर्द, चक्कर आने और थकान जैसे लक्षणों को नजरअंदाज न करें।
कोरोना से ग्रस्त होने के दौरान बच्चों ने गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षणों की भी शिकायत की है। इसमें पेट दर्द और पाचन से जुड़ी समस्याएं शामिल हैं। यहां पर इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए कोरोना से होने वाले तनाव और एंग्जायटी से भी पेट खराब होता है।
वायरस के खिलाफ मजबूती : आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार रूस ने जनवरी में ‘स्पूतनिक लाइट’ का मानव परीक्षण शुरू किया था और अध्ययन अभी भी जारी हैं। ‘स्पूतनिक लाइट’ रूस में स्वीकृत चौथा घरेलू विकसित कोविड-19 रोधी टीका है जिसे देश में मंजूरी दी गई है। रूसी स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराशको ने कहा कि चौथे टीके को अधिकृत करने से वायरस के खिलाफ सामूहिक प्रतिरक्षा बनाने की प्रक्रिया को गति देने में मदद मिलेगी। अधिकतर वैज्ञानिकों का मानना है कि कोविड-19 के खिलाफ सामूहिक प्रतिरक्षा हासिल करने के लिए कम से कम 70 प्रतिशत आबादी का टीकाकरण आवश्यक है, लेकिन सटीक सीमा अभी भी अज्ञात है।