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किसी को सजा देने से पहले ध्यान रखें ये बात

handन्यूयॉर्क के न्यायालय परिसर में लोग खचाखच भरे हुए थे। उपस्थित लोग कौतूहलवश मेयर लागाड़ियों की तरफ देखे जा रहे थे। वह बस मुकद्दमे का फैसला सुनाने ही वाले थे। उधर अपराधी कटघरे में चुपचाप मुंह लटकाए खड़ा था। उसने चोरी की थी और वह भी किसी सामान या रुपए-पैसे की नहीं, बल्कि अपने पेट की आग को शांत करने के लिए रोटी की।
मेयर लागाड़ियों ने अपने दिए जाने वाले फैसले पर एक बार विचार कर पुन: अपराधी को गौर से देखा। फिर उन्होंने अपना फैसला सुना दिया, ‘‘अपराधी को 10 डॉलर का अर्थदंड दिया जाता है क्योंकि इसने रोटी चुराने का अपराध किया है।’’
निर्णय सुनाने के बाद मेयर ने अपनी जेब से 10 डॉलर निकालकर अपराधी की ओर बढ़ाते हुए कहा, ‘‘और यह रही जुर्माने की वह रकम, जो अब अदालत को तुम दे सकते हो।’’ सभी लोग अचरज से मेयर की तरफ देखने लगे।
तभी मेयर लागाड़ियों ने न्यायालय में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘धिक्कार है ऐसे समाज को, जिसमें लोगों को पेट की आग को शांत करने के लिए चोरी करनी पड़ती है। समाज में पनपी एक-दूसरे पर ध्यान न देने वाली ऐसी स्थिति पर रोक लगाने के लिए आप सभी पर आधे-आधे डॉलर का जुर्माना किया जाता है। इसकी वजह यह है कि आप लोगों ने एक ऐसे समाज में रहने का जुर्म किया है,
जिसमें एक भूखे इंसान को रोटी चुराने पर मजबूर होना पड़ता है।’’
हरदम व्यवस्था को कोसने की बजाय हमें चाहिए कि हम मानवीयता को न भूलें। सहयोग की भावना को जीवित रखने के लिए हमें भी सहयोग अवश्य करना चाहिए। सब समझ गए कि मेयर ने जिस प्रकार शब्दों के साथ-साथ कर्म से भी न्याय किया था, वैसे ही हमें भी शब्दों के अलावा कर्म से भी सहयोग करना चाहिए।

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