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अंतरिक्ष से कैसा दिखता है गीजा का पिरामिड? जापानी एस्ट्रोनॉट ने स्पेस स्टेशन से तस्वीर शेयर कर बताया

दुनिया के सात प्राचीन अजूबों में शामिल मिस्र के गीजा का पिरामिड अंतरिक्ष से भी काफी साफ दिखता है। जापानी अंतरिक्ष यात्री सोइची नोगुची ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से 1 मई को गीजा के पिरामिड की एक सुंदर तस्वीर को ट्वीट किया। जिसके बाद से उनका यह पोस्ट खूब वायरल हो रहा है। सोशल मीडिया यूजर्स इसे गीजा के पिरामिड का सर्वश्रेष्ठ तस्वीर तक करार दे रहे हैं। तस्वीर में, गीजा शहर के एक हिस्से में यह पिरामिड दिखाई दे रहा है।
अंतरिक्ष में रहने के अंतिम दिन ट्वीट की तस्वीर : बड़ी बात यह है कि सोइची नोगुची ने इस तस्वीर को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में रहने के अंतिम दिन ट्वीट किया। उन्होंने अंतरिक्ष में 345 दिन गुजारने के बाद रविवार को धरती पर वापसी की। इस तस्वीर को देखने के बाद से बड़ी संख्या में लोगों ने इस जापानी अंतरिक्ष यात्री की धरती पर सफल लैंडिंग की कामना की थी।
2 मई को धरती पर वापस लौटे ये अंतरिक्षयात्री : नोगुची ने अपने चालक दल के साथ 2 मई रविवार को रात 8 बजे पृथ्वी के लिए प्रस्थान किया। नोगुची के साथ नासा के शैनन वॉकर, विक्टर ग्लोवर और माइक हॉपकिंस भी धरती पर वापस लौटे। नासा ने रविवार को ट्वीट कर इन अंतरिक्ष यात्रियों के धरती पर वापसी की जानकारी दी थी। ये अंतरिक्ष यात्री स्पेसएक्स के क्रू ड्रैगन में सवार होकर धरती पर लौटे।
क्रू में एकमात्र जापानी अंतरिक्षयात्री थीं नोगुची : नासा ने बताया कि क्रू ड्रैगन कैप्सूल अमेरिका के पनामा सिटी के पास समुद्र में स्थानीय समयानुसार 2.55 बजे उतरा। इसमें नासा के अंतरिक्ष यात्रियों के अलावा जापानी एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) से नोगुची एकमात्र विदेशी थीं। 168 दिनों तक ऑर्बिट में रहने के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों ने लगभग 114,653,205 किलोमीटर की यात्रा की। नोगुची का अंतरिक्ष मिशन 15 नवंबर, 2020 को अमेरिका के फ्लोरिडा से लॉन्च किया गया था। नासा के अनुसार, चालक दल के सदस्यों ने सैकड़ों वैज्ञानिक जांच और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में में योगदान दिया।
दुनिया सात आश्चर्यों में से एक है गीजा का पिरामिड : गीजा का पिरामिड विश्व के प्राचीन सात आश्चर्यों में से एक है। माना जाता है कि इस विशाल पिरामिड को बनाने में 20 साल का वक्त लगा था। इसे मिस्र के फिरौन खूफू के लिए बनाया गया था। इस पिरामिड का वजन करीब 60 लाख टन है और इसमें 23 लाख पत्थर लगे हैं। यह पिरामिड 2560 ईसा पूर्व के करीब बनवाया गया था। यह 3 800 सालों से दुनिया की सबसे ऊंची बनावट है।