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भगवान जगन्नाथ क्यों होते हैं हर साल बीमार, इस काढ़े में छुपा है यह राज

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पुरी। भगवान जगन्नाथ को लू लग जाने के कारण इन दिनों काढ़ा पिलाकर उनका उपचार किया जा रहा है। उनका 15 दिन तक लगातार उपचार किया जाएगा। इस अवधि में किसी को भी दर्शन करने की अनुमति नहीं होगी।
मंदिर में न तो पूजा होगी और न ही आरती। पुजारी कमरे में किनारे दीप-अगरबत्ती जलाकर रख देते हैं। ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा पर देव स्नान कराने के दौरान भगवान जगन्नाथ को लू लगने की परंपरा है और उनके स्वास्थ्य में सुधार के लिए उनका पूरा ध्यान रखा जाता है।
उन्हें 15 दिन तक काढ़ा पिलाया जाता है। ये काढ़ा इलायची, लौंग, चंदन, काली मिर्च, जायफल और तुलसी को पीसकर बनाया जाता है। इसके साथ ही भगवान को इस मौसम में आ रहे फलों का भोग भी लगाते हैं, लेकिन उनके दर्शन बंद रखे जाते हैं।
अस्वस्थ होने के कारण भगवान जगन्नाथ सिंहासन पर भी नहीं विराजते हैं, बल्कि उन्हें खाट पर ही विश्राम कराया जाता है। भगवान जगन्नाथ को किसी प्रकाश का कष्ट सहन नहीं करना पड़े, इसलिए उन्हें हल्के वस्त्र ही पहनाए जाते हैं। उनको राजसी वेश से मुक्त रखा जाता है।
इस उपचार के बाद जब 15वें दिन यानी अमावस्या को परवल का जूस पिलाया जाता है और वे स्वस्थ हो जाते हैं। भगवान जगन्नाथ के चढ़ने वाले काढ़े और परवल के जूस को श्रद्धालुओं में वितरित किया जाता है। मान्यता है कि इसे पीने से शारीरिक और मानसिक बीमारियां नहीं होती हैं।
सेहत सुधरने पर निकलती है रथयात्रा
सेहत सुधरने के बाद जगन्नाथ की भव्य रथयात्रा निकाली जाती है। इसके बाद उनका राजसी वेशभूषा में भव्य शृंगार और आरती कर सिंहासन पर विराजमान किया जाता है। रथयात्रा में बड़ी तादाद में श्रद्धालु शामिल होते हैं।

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