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भारत-फ्रांस जैतापुर परमाणु परियोजना के लिए फाइनांस और स्थानीयकरण के लिए कर रहे बातचीत


भारत और फ्रांस महाराष्ट्र के रत्नागिरि जिले में 9,900 मेगावाट के जैतापुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र के लिए एक वित्तपोषण तंत्र और स्थानीयकरण घटक स्थापित करने से संबंधित तत्वों पर आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। भारत और फ्रांस के बीच असैन्य परमाणु सहयोग और क्या जैतापुर परियोजना को रोक दिया गया है, इस सवाल पर विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने कहा कि फ्रांस की बिजली कंपनी EDF और न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) वित्तपोषण, परियोजना का तंत्र और स्थानीयकरण घटक जैसे तत्वों पर चर्चा कर रहे हैं।
विदेश सचिव ने कहा, ‘‘दोनों पक्षों की दो इकाइयां-ईडीएफ और एनपीसीआईएल अनिवार्य रूप से इन मुद्दों पर आगे बढ़ने की कोशिश कर रही हैं और काफी प्रगति हुई है।” जैतापुर परमाणु परियोजना के लिए पहला समझौता ज्ञापन (एमओयू) 2009 में फ्रांसीसी परमाणु आपूर्तिकर्ता अरेवा के साथ किया गया था। बाद में अरेवा कंपनी दिवालिया हो गई। वर्ष 2016 में, EDF और एनपीसीआईएल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की उपस्थिति में एक संशोधित समझौता ज्ञापन और ‘औद्योगिक मार्ग आगे का’ समझौता पर हस्ताक्षर किए। ईडीएफ ने 2020 में, परियोजना के लिए अपना तकनीकी-वाणिज्यिक प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
फ्रांस की कंपनी 1,650 मेगावाट के छह यूरोपीय दबावयुक्त रिएक्टर (EPR) की आपूर्ति करने की योजना बना रही है। इसे अब तक का सबसे उन्नत और सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा संयंत्र माना जा रहा है। विदेश सचिव ने कहा कि ईडीएफ और एनपीसीआईएल के बीच ‘‘वित्तीय रूप से व्यवहार्य, लागत प्रभावी और स्थानीयकरण घटक” सुनिश्चित करने के लिए चर्चा चल रही है। क्वात्रा ने कहा, ‘‘हम नागरिक परमाणु ऊर्जा क्षेत्र पर साझेदारी के लिए बहुत मजबूत रणनीतिक प्रतिबद्धता के तहत ऐसा कर रहे हैं।” उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, हमारी ओर से उन सिद्धांतों पर दृष्टिकोण जिसमें हम इस साझेदारी को देखते हैं, विशिष्टताएं, जिस तरह से हम इसे आगे ले जाना चाहते हैं वह बिल्कुल स्पष्ट है।”