मालदीव और भारत के बीच रिश्तों में तनाव और बढ़ता दिख रहा है। भारत के 85 सैनिकों को जाने का आदेश देने के बाद अब मालदीव की सरकार ने चीन के साथ दो सीक्रेट मिलिट्री डील की है। इन समझौतों को चीन और मालदीव के बीच द्विपक्षीय रक्षा संबंधों में एक नए चैप्टर की शुरुआत माना जा रहा है। इन समझौतों पर मालदीव के रक्षा मंत्री घसान मौमून और चीनी सेना के मेजर जनरल झांग बाओकून ने हस्ताक्षर किया है। मालदीव की मीडिया के मुताबिक इन समझौतों को गुप्त रखा गया है और किसी को भी इनकी जानकारी नहीं दी जा रही है। इससे पहले मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने एक निगरानी तंत्र बनाने का ऐलान किया था। लक्षद्वीप विवाद और चीन दौरे के बाद से लगातार मालदीव के राष्ट्रपति भारत के खिलाफ जहर उगल रहे हैं और कई ऐसे कदम उठा रहे हैं जो भारत के लिए खतरा बढ़ा सकते हैं।
माना जा रहा है कि चीन मालदीव में शक्तिशाली रेडॉर लगा सकता है जिससे भारत के हर युद्धपोत की मालदीव निगरानी कर सकेगा। मालदीव के रक्षा मंत्रालय ने दावा किया है कि इस समझौते में प्रावधान है कि चीन मुफ्त में मालदीव को सैन्य मुहैया करा सकता है। मालदीव ने चीन के साथ इन डील की कोई भी डिटेल खुद अपनी जनता के लिए भी सार्वजनिक नहीं किया है। इससे ड्रैगन की मंशा को लेकर मालदीव की मीडिया में भी सवाल उठ रहे हैं। मालदीव में सत्तारूढ़ मुइज्जू की पार्टी हमेशा से ही चीन के साथ करीबी संबंध बनाकर रखती है।
ससे पहले साल 2013 से 2018 के बीच में तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने भी चीन के साथ कई बड़े प्रॉजेक्ट को अंजाम दिया जिससे पूरा देश ड्रैगन के कर्ज तले दब गया। मालदीव आजतक चीन के कर्ज को चुका रहा है। यह वही यामीन हैं जिन्होंने मालदीव में भारत के खिलाफ ‘इंडिया आउट’ कैंपेन शुरू किया। मुइज्जू भी इस इंडिया आउट कैंपेन से जुड़े हुए थे। मुइज्जू ने जब से राष्ट्रपति का पद संभाला है, भारत और मालदीव के संबंध रसातल में चले गए हैं। मइज्जू लगातार चीन के साथ रिश्ते बढ़ा रहे हैं। मुइज्जू ने सत्ता में आते ही भारतीय सैनिकों को जाने के लिए कहा। इसके लिए उन्होंने 10 मई की डेट भी तय की है।
Home / News / भारतीय सैनिकों को निकाल रहे, अब चीन के साथ की सीक्रेट मिलिट्री डील, मालदीव के मुइज्जू का इरादा क्या?