जीवन पर वास्तु दोष का साया पड़ने से जिंदगी में उथल-पुथल हो जाती है। ये सब घर से संबंधित वास्तु की गलतियों के कारण हो सकता है। जिन पर हम ध्यान नहीं देते लेकिन अगर हम इन्हीं छोटी-मोटी बातों पर ध्यान दें तो हम वास्तु दोष और अपनी चिताओं से अवश्य मुक्ति पा सकते हैं। आईए जानें एेसे कुछ सरल उपाय जिन पर अमल करने से हम घर आदि संबंधित परेशानियों से छुटकारा पा सकते हैं।
घर की चारदीवारी या प्रवेश द्वार के पास केला, चंपा, गुलाब, चमेली, बेला एवं सुगंधित वृक्ष लगा सकते हैं।
जब भी पानी पिएं अपना मुख उत्तर-पूर्व की ओर रखें। जब भी भोजन करें, थाली दक्षिण-पूर्व की ओर रखें और पूर्व दिशा में मुख करके ही भोजन करें।
जब भी सोएं पैर उत्तर दिशा में तथा सिर दक्षिण दिशा में करके सोएं।
पूजा करते समय मुख उत्तर-पूर्व या उत्तर-पश्चिम में करके बैठें। उन्नति हेतु मां लक्ष्मी, श्री गणेश, कुबेर, स्वस्तिक, मांगलिक चिन्ह इत्यादि मुख्य द्वार पर स्थापित करें। पानी की व्यवस्था उत्तर-पूर्व में नहीं हो तो ट्यूबवैल अवश्य ईशान कोण में स्थापित करें।
यदि किन्हीं कारणों से पूर्व-उत्तर का भाग ऊंचा हो तो दक्षिण-पश्चिम के भाग को ऊंचा अवश्य करवा दें।
यदि दक्षिण-पूर्व (आग्नेय), उत्तर-पश्चिम (वायव्य) या दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य) कोण में जल की व्यवस्था हो तो उसे बंद करवा कर उत्तर-पूर्व (ईशान) कोण में करें। यदि किसी कारण वश ऐसा न कर सकें तो उससे पानी लेना बंद कर दें अथवा इसके जल की व्यवस्था उत्तर पूर्व में करें।
दक्षिण-पश्चिम दिशा में अधिक दरवाजे-खिड़कियां हों तो उन्हें बंद करके रखना चाहिए।
यदि परिवार में कोई व्यक्ति मानसिक तनाव से ग्रस्त हो तो कमरे में शुद्ध घी का दीपक प्रतिदिन जलाकर रखें।
शयन कक्ष में कभी झाड़ू न रखें और संध्या के समय कभी भी झाड़ू न लगााएं।
वास्तु दोष होते हुए यदि शयन कक्ष में पलंग के दक्षिण-उत्तर की ओर सिर रखकर सोएं तो काफी हद तक वास्तु संबंधी दोषों से राहत मिल सकती है।
शयन कक्ष में तेल का कनस्तर, इमामदस्ता, अंगीठी आदि नहीं रखनी चाहिए। ऐसा करने से बुरे स्वप्न, रोग, व्यर्थ की चिंता, कलह आदि होते हैं। यदि परिवार के सभी सदस्य स्वस्थ रहें, उन्हें शांतिपूर्वक अच्छी नींद आए तो परिवार में शांतिपूर्ण माहौल रहेगा।