दिवाली की वजह से इस बार गोवर्धन पूजा की तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कुछ लोग यह पर्व 1 नवंबर को मना रहे हैं तो कुछ 2 नवंबर को। आइए जानते हैं गोवर्धन पूजन की सही तारीख, गोवर्धन का भोग, क्यों मनाया जाता है यह पर्व और पूजन मुहूर्त व विधि…
पांच दिन के दीपावली महापर्व में चौथे दिन गोवर्धन महाराज की पूजा अर्चना की जाती है। हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजन करने का विधान है। इस तिथि को अन्नकूट के नाम से जाना जाता है क्योंकि इस दिन घरों में अन्नकूट का भोग बनाया जाता है। इस पर्व में प्रकृति के साथ मानव का सीधा संबंध दिखाई देता है। गोवर्धन पूजा के दिन हर घर में गाय के गोबर से गोवर्धन महाराज की प्रतिमा बनाई जाती है और पूरे परिवार के साथ शुभ मुहूर्त में पूजा अर्चना की जाती है। लेकिन इस बार दिवाली की तिथि की वजह से गोवर्धन पूजा की तारीख को लेकर कन्फ्यूजन की स्थिति बनी हुई है। आइए जानते हैं कब है गोवर्धन पूजा, महत्व और पूजन का शुभ मुहूर्त…
कब है गोवर्धन पूजा?
प्रतिपदा तिथि का आरंभ – 1 नवंबर, शाम 6 बजकर 16 मिनट से
प्रतिपदा तिथि का समापन – 2 नवंबर, रात 8 बजकर 21 मिनट तक
उदया तिथि के आधार पर गोवर्धन पूजा का पर्व 2 नवंबर 2024 दिन शनिवार को मनाया जाएगा।
गोवर्धन पूजन का शुभ मुहूर्त – गोवर्धन पूजा का पर्व 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा और इस दिन गोवर्धन पूजा का मुहूर्त शाम 6 बजकर 30 मिनट से 8 बजकर 45 मिनट तक है। गोवर्धन पूजा के लिए आपको 2 घंटा 45 मिनट का समय मिलेगा।
गोवर्धन पूजा का भोग – गोवर्धन पूजा के दिन अन्नकूट बनाया जाता है और उसी का भोग लगाया जाता है। अन्नकूट के साथ भगवान कृष्ण के लिए 56 भोग का प्रसाद भी बनाया जाता है।
गोवर्धन पूजा की कथा – पौराणिक कथाओं के अनुसार, कार्तिक मास की प्रतिपदा तिथि को ब्रज में पहले देवराज इंद्र की पूजा हुआ करती थी लेकिन भगवान कृष्ण ने ब्रजवासियों से इंद्र के बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा करने को कहा। भगवान कृष्ण की बात मानकर सभी ब्रजवासी गोवर्धन पर्वत की पूजा अर्चना करने लगे, जब यह जानकारी देवराज इंद्र को मिली तो उन्होंने अपने घमंड में आकर पूरे ब्रज में तूफान और बारिश से कहर बरपा दिया। धीरे धीरे हर चीज जलमग्न हो रही थी, तब भगवान कृष्ण ने अपनी कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की थी और इसी के साथ इंद्र के घमंड को भी तोड़ा था। चारों तरह घर अस्त व्यस्त होने की वजह से सभी सब्जियों को मिलाकर अन्नकूट तैयार किया गया था, तब से हर वर्ष इस तिथि को गोवर्धन महाराज पूजा की जाती है और अन्नकूट का भोग लगाया जाता है।
गोवर्धन पूजन विधि – गोवर्धन पूजा वाले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान व ध्यान करके भगवान कृष्ण की पूजा अर्चना करें। साथ ही दोपहर के समय घर के आंगन में गोवर्धन महाराज की प्रतिमा बनाएं। गोवर्धन महाराज के साथ गाय, बछड़े व ब्रज आदि की भी प्रतिमा बनाई जाती है। इसके बाद प्रतिमा को फूल व खील से सजाया जाता है और फिर शुभ मुहूर्त में गोवर्धन महाराज के साथ गाय, गोपी आदि को रोली, अक्षत और चंदन लगाएं। बीच बीच में पूरे परिवार के साथ गोवर्धन महाराज के जयकारे लगाएं और भजन भी गाएं। इसके बाद फिर दूध, पान, खील बताशे, अन्नकूट आदि चीजें अर्पित करें और पूरे परिवार के साथ पानी में दूध मिलाकर गोवर्धन महाराज की सात बार परिक्रमा करें। परिक्रमा करने के बाद घी का दीपक जलाकर आरती करें और फिर गोवर्धन महाराज के जयकारे लगाएं। इसके बाद घर के बड़ों का आशीर्वाद लें।
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