टफ लव एक पैरेंटिंग स्टाइल है, जिसमें बच्चों के लिए सख्त नियम और कठोर अनुशासन बनाए जाते हैं। एक्सपर्ट मानते हैं कि अगर आप बच्चे को लचीला और हर परिस्थिति से लड़ने वाला बनाना चाहते हैं, तो पैरेंटिंग के इस तरीके में बदलाव लाना चाहिए।
ज्यादातर पेरेंट्स प्यार के साथ सख्त नियम और कठोर अनुशासन के साथ बच्चाें की परवरिश कर रहे हैं। हालांकि, यह बच्चों के लिए अनुचित लग सकता है, लेकिन पेरेंट्स का मानना है कि पैरेंटिंग का यह तरीका बच्चों के लिए बहुत अच्छा होगा। इसे टफ पैरेंटिंग कहते हैं।
आजकल माता-पिता अपने बच्चों के लिए इस पैरेंटिंग स्टाइल को बेस्ट मानते हैं। लेकिन, बरनाड कॉलेज सेंटर फॉर टॉडलर की डायरेक्टर, रेसिंग रिसाइेंलस किताब की लेखिका और चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट टोवा क्लेन मानती हैं कि बच्चे को सफल व्यस्क बनाने के लिए यह सही तरीका नहीं है। जानते हैं क्या होती है टफ लव पैरेंटिंग और इस बारे में क्या है एक्सपर्ट की राय।?
टफ लव पैरेंटिंग के नुकसान -टफ लव पैरेंटिंग बच्चों के आत्मसम्मान में कमी लाती है।
माता-पिता और बच्चों के रिश्तों को नुकसान होता है।
इस तरह की सख्त पैरेंटिंग से बच्चे में विश्वास की कमी पैदा होती है।
मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है।
टफ लव से पले बढ़े बच्चों में सोचने और खुद से फैसला लेने की क्षमता भी कमजोर होने लगती है।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
क्या होती है टफ पैरेंटिंग ? टफ लव एक पैरेंटिंग स्टाइल है, जिसमें माता- पिता अपने बच्चों के लिए सख्त नियम बना देते हैं। उनके अनुसार, इससे बच्चे चुनौतीपूर्ण स्थितियों का सामना आसानी से कर पाते हैं। साथ ही निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हो पाते हैं। लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि टफ लव पैरेंटिंग से न केवल बच्चे को गहरी चोट लग सकती है बल्कि वे अपना कॉन्फिडेंस भी खो सकते हैं।
पनिशमेंट जैसी है टफ पैरेंटिंग – एक्सपर्ट के अनुसार, टफ लव एक कठोर सजा की तरह है। क्योंकि इसमें पेरेंट्स अपने बच्चों की समस्या को अनदेखा कर सिर्फ अपनी इच्छा उन पर थोपते हैं। हालांकि, यह तरीका बच्चों को नियमों को तोड़ने से रोकता है, लेकिन अगर टफ लव का इस्तेमाल ज्यादा किया जाए, तो यह बच्चों के लिए हानिकारक होता है।
बच्चों की मदद करें – टफ लव के बजाय अपने बच्चाें की हर पल मदद करनी चाहिए। इससे बच्चों में मानसिक दृढ़ता और लचीलापन को बढ़ावा मिलता है। इससे बच्चा समझ सकता है कि चाहे हार हो या जीत , आप हमेशा उसके साथ खड़े हैं।
बिना शर्त स्वीकार करें – क्लेन के मुताबिक बच्चाें को बिना किसी शर्त के स्वीकार करना चाहिए। इससे उनका आत्मविश्वास मजबूत होता है, जो जीवन में स्वतंत्र बनने के लिए बहुत जरूरी है।
फीलिंग कंट्रोल करना सीखें – क्लेन का कहना है कि आप रोज पूछकर कि वे कैसा महसूस कर रहे हैं, उनकी फीलिंग्स को कंट्रोल कर सकते हैं। इससे उन्हें समझने में मदद मिलती है कि जब वह दुखी हों या अच्छा महसूस ना करें, तब भी आप उन्हें प्यार और सपोर्ट करते होंगे।
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