नारद पुराण में श्री हरि विष्णु के चमत्कारों और लोक कल्याण के लिए किए जाने वाले कार्यों का विस्तृत वर्णन किया गया है। इस ग्रंथ में महर्षि नारद और ऋषि सनक के मध्य हुई बातचीत का वर्णन है। इसमें बहुत से विषयों पर गहन चर्चा की गई है। उन्हीं में से एक है चरणामृत, इसे ग्रहण करने के ढेरों लाभ हैं।
क्या है चरणामृत
वह जल जिस से किसी पूजनीय देवी-देवता या संत महात्मा के चरणों को धोया जाता है उसे चरणामृत कहा जाता है। सनातन धर्म में चरणामृत को बहुत ही पवित्र माना जाता है। श्रद्धालु सिर माथे पर लगाने के बाद ही इसे ग्रहण करते हैं।
चरणामृत सेवन करते समय निम्न श्लोक पढ़ने का विधान है-
अकालमृत्युहरणं सर्वव्याधिविनाशनम्। विष्णुपादोदकं पीत्वा पुनर्जन्म न विद्यते।।
अर्थात चरणामृत अकाल मृत्यु को दूर रखता है। सभी प्रकार की बीमारियों का नाश करता है। इसके सेवन से पुनर्जन्म नहीं होता।
चरणामृत के लाभ
अपने घर-परिवार से अलक्ष्मी को दूर रखना चाहते हैं तो प्रतिदिन चरणामृत ग्रहण करें।
शरीर रोगों से दूर रहता है। चरणामृत गंभीर से गंभीर बीमारियों को मात देने में सक्षम है।
सुबह सारे घर में चरणामृत का छिड़काव करने से पारिवारिक सदस्यों में प्रेम बना रहता है। गृह क्लेश नहीं होता।
जिस घर में भगवान को भोग देने के बाद ही पारिवारिक सदस्य भोजन पाते हैं और चरणामृत का सेवन करते हैं। उनसे हताशा और मायूसी कोसों दूर रहती है।
हर रोज चरणामृत ग्रहण करने से आयु में वृद्धि होती है।
मृत्यु भय या डरावने स्वप्न सताते हैं तो रोजाना चरणामृत पीएं। सोने से पहले अपने बिस्तर और खुद पर भी छिड़काव करें।
जीवन से नकारात्मकता का नाश करने के लिए चरणामृत ग्रहण करें।
बुद्धिबल और याददाश्त बढ़ाने का ये राम बाण उपाय है।