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दीपक लगाएं, ऐश्वर्य व धन पाएं


दीपक की छोटी सी लौ अंधकार को उजाले में परिवर्तित कर देती है। ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ अर्थात ‘अंधेरे से ज्योति अर्थात प्रकाश की ओर जाइए’ यह उपनिषदों की आज्ञा है। इसे लगभग हर धर्म में माना जाता है। हिंदू धर्म में तो दीप लगाने का खास महत्व है। दीपक किसी भी पूजन का खास हिस्सा होता है। देवी-देवताओं के सामने सुबह-शाम दीपक प्रज्वालित किया जाता है। कुछ स्थानों पर अविरल या अखंड ज्योत भी की जाती है। किसी भी पूजा के शुरू होने से लेकर पूर्ण होने तक दीपक को प्रज्वालित कर के रखने का विधान है। दैवीय कृपा पाने का लिए दीपक लगाने से पहले कुछ खास बातों का ध्यान रखें-

सर्वप्रथम ध्यान रखें शास्त्रों में केवल गाय के शुद्ध घी का दीपक लगाने का विधान है। उसी का भाग देवी-देवताओं को प्राप्त होता है। भैंस के घी से किए गए धार्मिक कार्य आसुरी शक्तियों को प्राप्त होते हैं।

आरोग्य और धन-संपत्ति की प्राप्ति के लिए सुबह-शाम तुलसी के पौधे पर दीपदान करें।

अकाल मृत्यु से बचने के लिए कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को रात में 14 दीपक लगाएं।

घर में शुद्ध घी का दीपक लगाने से धन का प्रवाह बना रहता है।

शत्रुओं पर विजय पाने के लिए भैरव बाबा के सामने सरसों के तेल का दीपक प्रज्वलित करें।

शनि कृपा के लिए तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए।

सदा सुहागन रहने की कामना को पूर्ण करने के लिए महुए के तेल का दीपक लगाएं।

राहु-केतु की प्रसन्नता के लिए अलसी के तेल का दीपक जलाएं।

दीपक देव को इस मंत्र से नमस्कार करें- शुभम करोति कलयाणम् आरोग्यम् धन सम्पदा, शत्रुबुध्दि विनाशाय दीपज्योति नमस्तुते ।। अर्थात सुन्दर और कल्याणकारी, आरोग्य और संपदा को देने वाले हे दीप, शत्रु की बुद्धि के विनाश के लिए हम तुम्हें नमस्कार करते हैं।

दीपक लगाते समय बात्तियों का भी रखें ध्यान
एकल बात्ती – सामान्य लाभ के लिए।

दो बात्ती वाला – परिवार और रिश्तेदारों में सद्भाव और शांति लाता है।

तीन बात्ती वाला – संतान के साथ आशीर्वाद देता है।

चार बात्ती वाला – सर्वांगीण समृद्धि और वैभवशाली भोजन लाता है।

पांच बात्ती वाला – अखंड ऐश्वर्य या धन की बारिश लाता है।

छह बात्ती वाला – अखंड ज्ञान और वैराग्य व त्याग के साथ आशीर्वाद देता है।