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ये Habit आपको हमेशा बनाए रखेगी जवान और खूबसूरत


हर व्यक्ति खुद को लेकर बड़ा संवेदनशील रहता है। उससे जुड़ी मामूली सी बात का भी यदि कोई मजाक बनाता है तो वह लडऩे-भिडऩे को तैयार हो जाता है। ऐसे वक्त पर धैर्य रख सोचें कि यदि कोई हम पर, हमारी कही गई बात पर मजाकिया तौर पर हंसता है तो खिन्न होने की बजाय सोचें कि कम से कम जो हम पर हंसता है, हम उसे खुशी तो दे रहे हैं। खुद पर हंसना सुनने में अटपटा सा जरूर लगता है लेकिन इतना आसान भी नहीं है और यह बात हर व्यक्ति में नहीं होती। इसका मतलब लोगों के मध्य अपने आप को हंसी का पात्र बनाना या अपनी गलतियों को छिपाने की बजाय सार्वजनिक करना भी है लेकिन यह भी सत्य है कि अपने ऊपर हंसना भी एक कला है।
आशावादी होते हैं, स्वयं पर हंसने वाले : खुद पर हंसने की कला आ जाए तो मनुष्य कठिन से कठिन व विपरीत परिस्थितियों में भी निराश व हताश नहीं होते क्योंकि जो व्यक्ति स्वयं पर हंस सकता है वही आशावादी माना जाता है। दूसरों पर तो हंसते हुए अनेक व्यक्तियों को देखा होगा लेकिन क्या सही मायने में यह सभ्यता है? और जिन व्यक्तियों की सोच सकारात्मक होती है उन्हें सफलता मिलने की संभावनाएं भी अधिक होती हैं। यदि हम सफलता पर हंसते हैं तो असफलता पर भी हंसने का हौसला होना चाहिए। जिस प्रकार व्यक्ति दुख में रोता है तो खुशी में भी अपने आपको रोक नहीं पाता, आंसू निकल ही आते हैं। तब कहते हैं ये तो खुशी के आंसू हैं।

खुद पर हंसना आत्मविश्वास बढ़ाता है : खुद पर हंसना व्यक्ति को मानसिक रूप से स्वस्थ रखता है और किसी भी प्रकार की उलझन या परेशानियों के समय मन को संतुलित रखता है। मनुष्य की कमी-कमजोरियों का एहसास भी खुद पर हंसने से ही आता है एवं स्वयं का आत्मविश्वास भी बढ़ता है। आत्मविश्वास से भरे लोग ही अपने जीवन में सफल होते हैं।

खुद पर हंसना हिम्मत की बात है : दूसरों पर जब कोई हंसता है तो उसे भी यह महसूस होता है कि मेरे उन पर हंसने से उन्हें कितना दुख पहुंचा है लेकिन वहीं खुद पर हंस कर कम-से-कम दूसरों के चेहरे पर मुस्कान लाई जा सकती है। कई लोग सोचते हैं कि इस तरह करना दूसरों के सामने उनकी इंसल्ट होगी या छवि खराब हो सकती है या सम्मान पर कोई फर्क पड़ सकता है। ऐसा सोचने वाले गलत हैं परंतु ऐसा करने की हिम्मत रखने वालों की अक्सर लोग प्रशंसा करते हैं। इसलिए खुद पर हंसना यह दर्शाता है कि आप हिम्मतवाले हैं, निडर हैं, साहसी हैं और मौलिक बने रहते हैं।
खुद पर कैसे हंसें?
खुद के जीवन की कोई ऐसी घटना याद करें जिसमें बचकानी हरकत या खुद की गलती से दूसरों को हंसी आई हो, उस पर हंसने की कोशिश करें, जिससे स्वयं को व अन्य लोगों को हंसी आ जाए।

क्या आपने सार्वजनिक जगह, मित्रों व संबंधियों के सामने कोई भूल की है जिसने किसी को किसी प्रकार के संकोच व शर्म में डाल दिया हो और आप स्वयं मुस्कुराकर अपने को रोक नहीं पाए हों।

खुद पर हंसना एक कला है इसे अपनाएं और सदा मुस्कुराने का पार्ट अदा करें तो आपको देख औरों को भी खुशी मिलेगी।

अपने पुराने अनुभवों का लाभ उठाएं कि हर व्यक्ति के जीवन में कभी न कभी ऐसा कुछ होता रहता है इसलिए स्वयं में ईमानदार रहें और सकारात्मक बदलाव अपने जीवन में लाएं।
अपनी कमी-कमजोरियों को स्वीकार करना ही आत्मविश्वास की कुंजी है। इसलिए अपनी कमी-कमजोरियों को निकालने का प्रयास करें।
किसी ऐसी बात पर या प्रसंग पर हंसने से पहले सोचें कि यह बात हंसने की है, नाराज होने की या विरोध प्रकट करने की?

हंसने से दिल मजबूत और दिमाग तेज बनता है, एनर्जी बढ़ती है, उम्र के असर से होने वाली भूल जाने की समस्या भी कम होती है।

हंसने से रोगों से लडऩे की क्षमता भी विकसित होती है।

हंसने से कैलोरी बर्न होती है कहते हैं जो दिन बिना हंसी के गुजर जाए वह व्यर्थ है।