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मृत्यु के पश्चात आत्मा को स्वर्ग में प्रवेश करवाने के लिए अपनाया जाता था ये मार्ग

महात्मा बुद्ध के समय की बात है। उन दिनों मृत्यु के पश्चात आत्मा को स्वर्ग में प्रवेश करवाने के लिए कुछ विशेष कर्मकांड करवाए जाते थे। होता यह था कि एक घड़े में कुछ छोटे-छोटे पत्थर डाल दिए जाते और पूजा-हवन इत्यादि करने के बाद उस पर किसी धातु से चोट की जाती। अगर घड़ा फूट जाता और पत्थर निकल …

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जन्म कुंडली से जान सकते हैं पारिवारिक सदस्यों के स्वभाव की गुप्त बातें

भारत में सब हिन्दू परिवारों में जातक की जन्म कुंडली बनवाने का रिवाज है। जन्म कुंडली के 12 भावों के प्रत्येक भाव से जातक के किसी न किसी संबंधी का विचार किया जाता है। ज्योतिषी जन्म कुंडली का अध्ययन करके जातक के अन्य संबंधियों के साथ भावी संबंध की भविष्यवाणी करते हैं। जातक की जन्म कुंडली के नवम् भाव से …

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हर व्यक्ति को पूजा में रखना चाहिए इन नियमों का खास ध्यान, अन्यथा नष्ट हो जाएगा पुण्य

कहा जाता है कि ईश्वर की प्रार्थना या पूजन के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है – मन की भावना। जैसी मन की भावना होगी, वैसा ही फल मिलेगा। पूजन के भी कुछ नियम होते हैं। अगर उनका पालन किया जाए तो प्रार्थना के शब्दों के साथ मन के भाव भी ईश्वर तक शीघ्र पहुंचते हैं। उनका फल भी जल्दी मिलता …

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हनुमान जी ने किसे दिए थे अपने शरीर के 3 बाल

महाभारत का युद्ध हो चुका था। पांडवों ने श्री कृष्ण की मदद से कौरवों पर विजय प्राप्त की थी। अब हस्तिनापुर का राज्य पांडवों के अधीन था। धर्मराज युधिष्ठर राजा के पद पर सुशोभित हुए। न्याय और धर्म की प्रतिमूर्ति महाराज युधिष्ठर के राज्य में सब कुशल मंगल था। हस्तिनापुर निवासी सुख पूर्वक जीवन व्यतीत कर रहा था। कहीं कोई …

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इन वृक्षों की करें पूजा, जीवन की परेशानियां व कुंडली के दोष होंगे दूर

पेड़-पौधे प्रकृति को सुंदर बनाते हैं। भारतीय संस्कृति में कई वृक्षों की पूजा भी की जाती है। शास्त्रों के अनुसार वृक्षों की पूजा करने से व्यक्ति को जीवन की परेशानियों से छुटकारा मिलता है। इसके साथ ही कुंडली के दोष भी दूर होते हैं। जानिए, किस वृक्ष के पूजन से कौन से फल की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार …

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तो इसलिए कृष्ण ने अपने हाथों पर किया था कर्ण का अंतिम संस्कार, जानिए कर्ण की रोचक बातें

महाभारत में कर्ण ऐसे पात्र के रूप में जाने जाते हैं जो बहुत शूरवीर, दानवीर और वादे के पक्के थे, लेकिन उनका संपूर्ण जीवन विभिन्न परिस्थितियों की उलझन में फंसा रहा। दुर्योधन को सबसे ज्यादा किसी पर भरोसा था तो वह कर्ण थे। उन्हीं के भरोसे वह महाभारत में विजय के सपने देखा करता था। अगर कर्ण पांडवों के पक्ष …

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कोख से जन्म न देने पर भी कर्म ने बनाया उन्हें श्रीराम की मां

महाराज दशरथ की कई रानियां थीं। महारानी कौशल्या पट्टमहिषी थीं। महारानी कैकेयी महाराज को सर्वाधिक प्रिय थीं और शेष में श्री सुमित्रा जी ही प्रधान थीं। महाराज दशरथ प्राय: कैकेयी के महल में ही रहा करते थे। सुमित्रा जी महारानी कौशल्या के सन्निकट रहना तथा उनकी सेवा करना अपना धर्म समझती थीं। पुत्रेष्टि-यज्ञ समाप्त होने पर अग्नि के द्वारा प्राप्त …

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नक्षत्रों को ध्यान में रखकर करें जीविका निर्णय, इनकी रफ्तार से बदलेगी जिंदगी

चारों नक्षत्रों के पदार्थों में से चाहे वे आपस में विरोधाभास ही क्यों न रखते हों, उसी पदार्थ से संबंधित व्यक्ति की आजीविका होती है। जो पदार्थ चारों नक्षत्रों में बहुमत रखता हो और जब प्रफुल्ल ज्योति का चंद्रमा कुंडली के श्रेष्ठ भावों में स्थित हो तो केवल चंद्र नक्षत्र के आधार से ही जीविका चलती है। यही नियम शेष …

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क्या थी राधा की अंतिम इच्छा, ऐसे हुई थी मृत्यु

पहली बार कृष्ण राधा से दूर तब गए, जब जब मामा कंस ने उन्हें और बलराम को मथुरा आमंत्रित किया। वृंदावन के लोगों को जब यह बात पता चली, तो वह दुःखी हो गए। मां यशोदा परेशान थीं, तो नंद बाबा चिंतित। सभी कृष्ण के रथ के चारों तरफ खड़े हुए थे। जो कान्हा के मामा ने उन्हें मथुला लाने …

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पैसे खर्च किए बिना मिलेगा तीर्थयात्रा का पुण्य, जो चार धाम यात्रा से भी नहीं मिलता

एक साधु की तीर्थयात्रा की इच्छा हुई। वह दिन-रात पैसा इकट्ठा करने की जुगत में लगे रहते। एक दिन उन्होंने स्वप्न में देखा कि यदि किसी व्यक्ति में परोपकार की भावना हो तो घर बैठे ही उसे तीर्थयात्रा का पुण्य मिल सकता है, जैसे कि हिमाचल के एक गांव में जूता गांठकर आजीविका चला रहे श्यामू भक्त को। नींद खुलने …

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