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हर व्यक्ति को पूजा में रखना चाहिए इन नियमों का खास ध्यान, अन्यथा नष्ट हो जाएगा पुण्य

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कहा जाता है कि ईश्वर की प्रार्थना या पूजन के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है – मन की भावना। जैसी मन की भावना होगी, वैसा ही फल मिलेगा। पूजन के भी कुछ नियम होते हैं। अगर उनका पालन किया जाए तो प्रार्थना के शब्दों के साथ मन के भाव भी ईश्वर तक शीघ्र पहुंचते हैं। उनका फल भी जल्दी मिलता है। जानिए ऐसी ही कुछ बातें, जिनका ध्यान पूजन के दौरान रखना चाहिए।
– तुलसी का पत्ता बिना स्नान किए नहीं तोड़ना चाहिए। शास्त्रों के मुताबिक, यदि कोई व्यक्ति बिना स्नान किए तुलसी के पत्ते तोड़ता है तो उसके द्वारा पूजन में प्रस्तुत किए गए पत्ते भगवान स्वीकार नहीं करते।
– दूर्वा गणपति को विशेष प्रिय है लेकिन मां दुर्गा को दूर्वा नहीं चढ़ानी चाहिए। रविवार को दूर्वा नहीं तोड़नी चाहिए।
– शिवलिंग का पूजन या अभिषेक करते समय ध्यान रखें कि उस पर केतकी का पुष्प न चढ़ाएं।
मंदिर के ऊपर भगवान के वस्त्र, धार्मिक किताबें, गहने आदि भी न रखें। मंदिर के द्वार के सामने पर्दा भी होना चाहिए। अपने स्वर्गीय परिजनों के चित्र मंदिर में देवताओं के साथ नहीं रखने चाहिए। ऐसे चित्र घर के नैऋत्य कोण में स्थापित करें तो उसका शुभ फल मिलता है।
– गंगाजल को तांबे के पात्र में संग्रहित करें तो बेहतर रहता है। प्लास्टिक, एल्यूमिनियम और लोहे के पात्र में गंगाजल नहीं रखना चाहिए।
– हमेशा इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि पूजन या उसके बाद दीपक से दीपक नहीं जलाना चाहिए। शास्त्रों में कहा गया है कि जो व्यक्ति दीपक से दीपक जलाता है, वह रोगी होता है। उसके भाग्योदय में बाधा आती है।
– मंदिर के ऊपर भगवान के वस्त्र, धार्मिक किताबें, गहने आदि भी न रखें। मंदिर के द्वार के सामने पर्दा भी होना चाहिए। अपने स्वर्गीय परिजनों के चित्र मंदिर में देवताओं के साथ नहीं रखने चाहिए। ऐसे चित्र घर के नैऋत्य कोण में स्थापित करें तो उसका शुभ फल मिलता है।
– सूर्य, गणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु – को संक्षिप्त में पंचदेव भी कहा जाता है। धार्मिक गीतों और पूजन में इनकी वंदना आवश्यक है। जो व्यक्ति नित्य पंचदेवों का स्मरण करता है, वह अकाल मृत्यु, दरिद्रता, रोग और शोक से सुरक्षित रहता है।
– आमतौर पर मंदिरों में शंख पुरुष ही बजाते हैं। शंख हमेशा पवित्र हाथों से ही स्पर्श करना चाहिए। रोगी, अपवित्र हाथों से या मनोरंजन के लिए शंख नहीं बजाना चाहिए। गर्भवती स्त्री और उदर रोग से पीड़ित व्यक्ति को कभी शंख नहीं बजाना चाहिए।
– गाय को सनातन संस्कृति में माता का दर्जा दिया गया है। कभी भी गाय को कष्ट नहीं देना चाहिए। जिस घर के द्वार पर गाय भोजन ग्रहण करने आती है, वह सौभाग्यशाली होता है। गाय को पीटने वाला, कटु वचन कहने वाला मनुष्य घोर पाप का भागी होता है। ऐसा काम कभी नहीं करना चाहिए।
– तुलसी के पत्ते 11 दिन तक बासी नहीं माने जाते। इन पर पवित्र जल छिड़क कर इन्हें भगवान को पूजन के दौरान अर्पित कर सकते हैं।
– घर में लक्ष्मीजी की मूर्ति या चित्र लगाएं तो इस बात का ध्यान रखें कि ये अपने आसन पर बैठे हुए हों। आसन पर खड़ी लक्ष्मी के बजाय बैठी हुई लक्ष्मी शुभ मानी गई है।

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