सनातन धर्म में बृहस्पतिवार के दिन श्रीविष्णु की पूजा का बहुत महत्व है। जिस घर में विधि-विधान से इस दिन व्रत और पूजन किया जाता है, उस घर से लक्ष्मी कभी दूर नहीं जाती। भगवान विष्णु के साथ उसी घर में वास करती हैं। यदि आप में व्रत करने की क्षमता न हो तो कुछ बातों का विशेष तौर पर ध्यान रखने से घर में कभी भी धन-संपदा की कमी नहीं होती। मान्यता है कि गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का स्वरूप माना गया है। गुरु बल ही ईश कृपा को संभव बनाता है। गुरुवार गुरु भक्ति से ही उन कमियों और दोषों को दूर करने का दिन है। जो जीवन में अशांति और कलह का कारण होते हैं। ज्ञान के देवता गुरु बृहस्पति माने गए हैं। शास्त्रों के मुताबिक बृहस्पति पूजा न केवल वैवाहिक दोष, बल्कि हर तरह से दक्षता, समृद्धि व शांति देने वाली मानी गई है। गुरु की प्रसन्नता के लिए इस दिन खासतौर पर विशेष रूप से केले के वृक्ष की पूजा का महत्व है। केले का वृक्ष विष्णु का रूप भी माना गया है।
रखें इन बातों का ध्यान
केले के वृक्ष का पूजन तो करें लेकिन स्वयं इस दिन केला न खाऐं। भोग के रूप में केला भगवान विष्णु को चढ़ाना शुभ माना जाता है। केले का दान अवश्य करें।
नमक न खाएं।
भोजन में पीले रंग के भोज्य पदार्थ खाएं जैसे चने की दाल, बेसन, मक्की का आटा आदि।
गुरूवार के दिन पीले वस्त्र पहनें।
पीले रंग के फल खाऐं जैसे पपीता और आम आदि का सेवन करें।
पीले चन्दन का तिलक पहले भगवान को लगाएं, फिर स्वयं लगाएं।