भगवान शिव को सभी विद्याओं का जनक माना जाता है। वे तंत्र से लेकर मंत्र तक और योग से लेकर समाधि तक प्रत्येक क्षेत्र के आदि हैं और अंत भी । वास्तव में भगवान शिव देवताओं में सबसे अद्भुत देवता हैं। वे देवों के भी देव होने के कारण महादेव” हैं तो, काल अर्थात समय से परे होने के कारण महाकाल” भी हैं। वे देवताओं के गुरू हैं तो, दानवों के भी गुरू हैं। देवताओं में प्रथमाराध्य, विघ्नहर्ता भगवान गणपति के पिता हैं तो, जगत्जननी जगदम्बा के पति भी हैं। वे कामदेव को भस्म करने वाले कामेश्वर भी हैं। तंत्र साधनाओं के जनक हैं तो संगीत के आदिगुरू भी हैं। उनका स्वरुप इतना विस्तृत है कि उसके वर्णन का सामर्थ्य शब्दों में भी नही है।
सोमवार को भगवान शंकर की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। भगवान शंकर का पूजन एवं आराधना करने से अनेक प्रकार के दोषों का शमन होता है। जिन्हें कालसर्प दोष हो या मृत्युतुल्य कष्ट हो उनके लिए शिव पूजन रामबाण सा प्रभाव देता है। श्रद्धा भक्ति के साथ किया गया जाप अवश्य सफल होता है।
शास्त्रों के अनुसार यंत्र एवं मंत्र रहस्यमयी शक्तियों तक पहुंचने का सशक्त माध्यम है। यदि इन मंत्रों की विधिवत प्रकार से पूजा-अर्चना की जाए तो इसमें कोई संदेह नहीं है कि ये हमें संबंधित शक्तियों की कृपा का पात्र बनाते हैं। शास्त्रों में भगवान शंकर पर गंध समर्पण करते समय इस मंत्र का जाप करना चाहिए। इस शिव मंत्र से आपके लिए किस्मत के द्वार खुलेंगे ।
मंत्र: ॐ नमः श्वभ्यः श्वपतिभ्यश्च वो नमो नमो भवाय च रुद्राय च नमः। शर्वाय च पशुपतये च नमो नीलग्रीवाय च शितिकण्ठाय च॥