चन्द्र देव का स्वभाव स्वभाव बहुत शांत और ठंडा होता है और यही वजह है कि वो हम सभी को शीतलता प्रदान करते है किन्तु जब वे गुस्से में आते है तो उसके परिणाम बहुत भयंकर और विनाशकारी हो सकते है। मंत्रों का हमारे जीवन में बहुत महत्व है, बिना मंत्रों के किसी भी पूजा या आराधना को पूर्ण नहीं माना जा सकता है। कुंडली में चंद्र शुभ होकर निर्बल अवस्था में है तो चंद्रमा के किसी भी एक मंत्र का जाप शुक्ल पक्ष के सोमवार अथवा पूर्णमासी से शुरु करना चाहिए क्योंकि सोमवार का दिन चंद्रमा को समर्पित है।
वैसे चंद्र की प्रसन्नता के लिए हर उस तिथि को चंद्र मंत्र पढ़े जाने चाहिए जो चंद्र से संबंधित है। हफ्ते में सोमवार का दिन चंद्र को समर्पित है। हर पूर्णिमा को यह 5 सरलतम चंद्र मंत्र की एक माला करने से मनचाहा परिणाम मिलता है। इन मंत्रों को पूर्णिमा की रात को अवश्य पढ़ना चाहिए और चांदी के बर्तन में दूध मिश्री भी चढ़ानी चाहिए।
ॐ ऐं क्लीं सौमाय नामाय नमः।
ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः।
ॐ सों सोमाय नमः।
ॐ चं चंद्रमस्यै नम:।
ॐ शीतांशु, विभांशु अमृतांशु नम:।
धन-संपदा, अच्छे स्वास्थ्य और सुंदर मुख के लिए चंद्र देव के इन मंत्रों का जाप करना चाहिए। हर मंत्र का 11 बार जाप करने से शीघ्र लाभ मिलता है।