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महाभारत के इस पात्र ने भी किया था बहुत बड़ा बलिदान, जानें कौन है ये


महाभारत हिंदू धर्म का एक प्रमुख ग्रंथ है। ये एकमात्र एेसा पुराण है जिसके पात्र आज भी चर्चा का विषय हैं। हिंदू धर्म का शायद ही कोई एेसा व्यक्ति होगा जिसे महाभारत के बारे में नहीं पता होगा।

जब भी इस महाकाव्य की बात की जाती है तो पांडव और कौरवों को ही याद किया जाता है। भीम, कर्ण, अर्जुन और दुर्योधन की वीरता की गाथाएं तो सभी ने सुनी होगी लेकिन शायद किसी को भी पता नहीं होगा कि इन सभी महा बलशालियों के अलावा एक और योद्धा था जो इन सभी से ज्यादा शक्तिशाली और साहसी था। इतना ही नहीं महाभारत के इस पात्र ने महाभारत का पूरा युद्ध अपने कटे हुए सिर से देखा था। तो आईए जानते हैं इस पात्र के बारे में-

महाभारत के इस योद्धा का नाम बर्बरीक था, जो घटोत्कच का पुत्र था। क्योंकि इनकी पत्नी एक राक्षस कुल की थी, इसलिए इन्होंने तमाम तरह की विद्याएं और कलाएं अपनी मां से सीखी थी। मां के कहने पर बर्बरीक ने भगवान शंकर की घोर तपस्या करके उनसे तीन एेसे अमोघ तीर प्राप्त किए थे, जिससे वह बड़ी आसानी से तीनों लोकों पर विजय प्राप्त कर सकता था।
पौराणिक कथाओं के अनुसार बर्बरीक भी महाभारत के युद्ध में भाग लेना चाहता था, लेकिन उसकी मां ने एक शर्त रखी थी कि कौरव और पांडवों में से जो भी हार रहा होगा वह उसकी तरफ से लड़ेगा। भगवान कृष्ण यह बात जान चुके थे कि बर्बरीक बहुत शक्तिशाली है और अपने सिर्फ एक बाण से महाभारत के युद्ध की कायापलट कर सकता है क्योंकि उस समय कौरवों की सेना पांडवों की सेना से हार रही थी।
कृष्ण ने ब्राह्राण का वेश धारण करके बर्बरीक से युद्ध में जाने से पहले उसका सिर मांगा तब बर्बरीक भगवान कृष्ण को पहचानते हुए अपना सिर काटने को तैयार हो गया। बर्बरीक अपना सिर काटने को तैयार तो गया लेकिन उसने एक शर्त भी रखी कि वह पूरा महाभारत का युद्ध अपने आंखो से देखना चाहता है और भगवान के विराट रूप के दर्शन भी करना है। कृष्ण ने बर्बरीक की शर्त मान ली और उसके कटे सिर को ऐसी पहाड़ी पर रख दिया जहां से वह महाभारत का पूरा युद्ध देख सकता था।
हिंदू धर्म के अनुसार, कलियुग में कृष्ण के अवतार खाटू श्याम जी और कोई नहीं बल्कि घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक ही हैं। इन्होंने श्री कृष्ण से वरदान प्राप्त किया था कि वे कलियुग में उनके नाम श्याम से पूजे जाएंगे। श्री कृष्ण बर्बरीक के महान बलिदान से काफ़ी प्रसन्न हुए और वरदान दिया कि जैसे-जैसे कलियुग का अवतरण होगा, तुम श्याम के नाम से पूजे जाओगे। तुम्हारे भक्तों का केवल तुम्हारे नाम का सच्चे दिल से उच्चारण मात्र से ही उद्धार होगा। यदि वे तुम्हारी सच्चे मन और प्रेम-भाव से पूजा करेंगे तो उनकी सभी मनोकामना पूर्ण होगी और सभी कार्य सफल होंगे।