हिन्दू धर्म में प्रत्येक पूजा कार्य में हाथ में कलावा यानी धागा बांधने का विधान है। धागा व्यक्ति के उपनयन संस्कार से लेकर उसके अंतिम संस्कार तक सभी संस्कारों में बांधा जाता है। राखी का धागा भावनात्मक एकता का प्रतीक है। स्नेह विश्वास की डोर है। धागे से होने वाले संस्कारों में उपनयन संस्कार, विवाह और रक्षाबंधन प्रमुख हैं।
पुरातन काल से वृक्षों को रक्षा सूत्र बांधने की परंपरा है। बरगद के वृक्ष को स्त्रियां धागा लपेटकर रोली, अक्षत, चंदन और धूप दिखाकर पति के दीर्घायु होने की कामना करती हैं। आंवले के पेड़ पर धागा लपेटने के पीछे मान्यता है कि इससे परिवार धन-धान्य से परिपूर्ण होगा।
सावन माह की पूर्णिमा को भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षा बंधन का त्योहार मनाए जाने का विधान है। रविवार, 26 अगस्त को ये पर्व मनाया जाएगा। हिंदू धर्म के अनुसार कोई भी शुभ काम करने से पहले शुभ मुहूर्त देखा जाता है। ज्योतिष विद्वानों का कहना है की इस बार रक्षा बंधन पर भद्रा का साया नहीं रहेगा। भाई की खुशहाली के लिए इस मंगल मुहूर्त में बहनें बांधे राखी-
राखी बांधने का प्रातः कालीन मुहूर्त: प्रातः 08:50 से प्रातः 09:50 तक।
राखी बांधने का अपराह्न मुहूर्त: दिन 12:40 से दिन 13:40 तक।
राखी बांधने का संध्याकालीन मुहूर्त: शाम 16:05 से शाम 17:05 तक।