हिंदू धर्म में गायत्री मंत्र का बहुत महत्व बताया गया है। कहा जाता है कि ब्रह्मा, विष्णु और शिवजी से लेकर अाधुनिक काल तक के साधु-महात्माओं ने शक्तियां पाने के लिए गायत्री मंत्र का सहारा लिया था। हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथों में से यजुर्वेद और सामवेद में गायत्री मंत्र को प्रमुख मंत्र माना जाता है। लेकिन इसके साथ बाकि सभी वेदों में किसी-न-किसी संदर्भ में गायत्री मंत्र का उल्लेख देखनो को मिलता है।
गायत्री का शाब्दिक अर्थ है- ’गायत् त्रायते’ अर्थात गाने वाले का त्राण करने वाली। गायत्री मंत्र गायत्री छंद में रचा गया अत्यन्त प्रसिद्ध मंत्र है। इसके देवता सविता हैं और ऋषि विश्वामित्र हैं। यहां जानें गायत्री मंत्र-
मंत्र है-
ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्।।
ॐ व भू: भुव: स्व: का अर्थ है- गायत्री मन्त्र से पहले ॐ लगाने का विधान है। ॐ अर्थात प्रणव, और प्रणव परब्रह्म परमात्मा का नाम है। ‘ॐ’ के अ+उ+म इन तीन अक्षरों को ब्रह्मा, विष्णु और शिव का रूप माना गया है। गायत्री मंत्र से पहले ॐ के बाद भू: भुव: स्व: लगाकर ही मंत्र का जप करने का विधान हैं, क्योंकि ये गायत्री मंत्र के बीज हैं। बीजमंत्र का जप करने से ही साधना सफल होती है। अत: ॐ और बीज मंत्रों सहित गायत्री मंत्र इस प्रकार है।
।।ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्।।
भावार्थ:- उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अंतः करण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करें। अथर्ववेद में वेदमाता गायत्री की स्तुति की गयी है, जिसमें उसे आयु, प्राण, शक्ति, पशु, कीर्ति, धन और ब्रह्मतेज प्रदान करने वाली कहा गया है।
शंखस्मृति में कहा गया है
गायत्री वेदजननी गायत्री पापनाशिनी ।
गायत्र्या: परमं नास्ति दिवि चेह च पावनम् ।।
अर्थात्–‘गायत्री वेदों की जननी है । गायत्री पापों का नाश करने वाली है। गायत्री से अन्य कोई पवित्र करने वाला मन्त्र स्वर्ग और पृथिवी पर नहीं है।
गायत्री मंत्र में कुल चौबीस अक्षर हैं। ऋषियों ने इन अक्षरों में बीज रूप में विद्यमान उन शक्तियों को पहचाना जिन्हें चौबीस अवतार, चौबीस ऋषि, चौबीस शक्तियां और चौबीस सिद्धियां कहा जाता है। गायत्री मंत्र के चौबीस अक्षरों के चौबीस देवता हैं। उनकी चौबीस चैतन्य शक्तियां हैं। गायत्री मंत्र के चौबीस अक्षर 24 शक्ति बीज हैं। गायत्री मंत्र की उपासना करने से उन 24 शक्तियों का लाभ और सिद्धियां मिलती हैं।