हर कोई चाहता है कि उसकी जिंदगी में धन-दौलत की कमी ना हो। इसके लिए वह खूब मेहनत करता हैं ताकि पैसे कमा सके। पैसे कमाना तो कठिन काम है लेकिन पैसे संभाल कर रखना और भी कठिन काम है। कई बार जरूरी चीजों के लिए हमें कर्ज लेने पड़ जाते हैं लेकिन ये कर्ज खत्म होने का नाम नहीं लेता है।
कर्ज या ऋण का होना जिंदगी को मुश्किल में डाल देता है। कर्ज मुक्त जीवन ही सबसे खुशहाल जीवन होता है। कई बार कर्ज लेने के बाद उसे लौटाना व्यक्ति को भारी पड़ता है और उसकी पूरी जिंदगी कर्ज चुकाते-चुकाते खत्म हो जाती है।
आज हम आपको कुछ ऐसे उपाय बताने वाले है जिनके प्रयोग से आप अपने कर्ज से छुटकारा पा सकते है और एक सुखमय जीवन व्यतीत कर सकते है, आइए जानते है।
कर्जा उतारने के लिए करें ये उपाय…
कर्जा उतारने के लिए सरसों का तेल मिट्टी के दीये में भरकर, फिर मिट्टी के दीये का ढक्कन लगाकर किसी नदी या तालाब के किनारे शनिवार के दिन सूर्यास्त के समय जमीन में गाड़ देना ठीक रहता है।
गाय को चारा खिलाए…
कर्ज से पीडित व्यक्ति बुधवार को स्नान पूजा के बाद व्यक्ति सबसे पहले गाय को हरा चारा खिलाए उसके बाद ही खुद कुछ काम करें तो उसे शीघ्र ही कर्जे से छुटकारा मिल जाता है।
बुधवार को कर्ज लें…
कर्ज से पीडित व्यक्ति पूर्णिमा व मंगलवार के दिन उधार दें और बुधवार को कर्ज लें।
भोजन में गुड का उपयोग करें…
कर्ज से पीडित व्यक्ति लाल वस्त्र पहनें या लाल रूमाल साथ रखें। भोजन में गुड़ का उपयोग करें।
श्रीकृष्ण की तस्वीर लगाएं…
कर्ज से पीडित व्यक्तिघर अथवा कार्यालय मे गाय के आगे खड़े होकर बंशी बजाते हुए भगवान श्री कृष्ण का चित्र लगाने से कर्जा नहीं चढता और दिए गए धन की डूबने की संभावना भी कम रहती है।
मां लक्ष्मीजी की ऐसे करें पूजा…
कर्ज से पीडित व्यक्ति यदि व्यक्ति अपने घर के मंदिर में मां लक्ष्मी की पूजा के साथ 21 हकीक पत्थरों की भी पूजा करें फिर उन्हें अपने घर में कहीं पर भी जमीन में गाड़ दे और ईश्वर से कर्जे से मुक्ति दिलाने के लिए प्रार्थना करें तो उसे शीघ्र ही कर्जे से छुटकारा मिल जाएगा।
हनुमानजी की ऐसे करें पूजा…
कर्ज से पीडित व्यक्तियों हनुमानजी के चरणों में मंगलवार व शनिवार के दिन तेल-सिंदूर चढ़ाएं और माथे पर सिंदूर का तिलक लगाएं। हनुमान चालीसा या बजरंगबाण का पाठ करें।
कर्ज से पीडित व्यक्ति इस मंत्र का नियमित जाप करे…
‘ओम ऋण-मुक्तेश्वर महादेवाय नम:’
‘ओम मंगलमूर्तये नम:।’
‘ओम गं ऋणहर्तायै नम:।’