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चैत्र नवरात्रि : इन 7 नियमों का पालन ज़रूर करें वरना निष्फल हो जाएगी आपकी पूजा


चैत्र नवरात्रि के प्रांरभ होते ही हर कोई मां की पूरे विधि-विधान से पूजा अर्चना करना शुरू कर देता है ताकि मां उन पर प्रसन्न हो जाएं और उनकी हर अधूरी कामना को पूरा करें। इस साल के चैत्र नवरात्रि 6 अप्रैल से शुरू हो रहे हैं। इस दौरान सभी चाहते तो यही हैं कि उनसे कोई ऐसी गलती न हो जिससे देवी उन पर रुष्ट हो जाएं। परंतु जानें अनजाने में फिर भी कभी-कभी जातक से ऐसी भूल हो जाती हैं जिस कारण उन्हें अपनी पूजा का पूरा फल नहीं मिल पाता और न ही देवी उनपर खुश होती हैं। मगर घबराईए मत हम आपको चैत्र नवरात्रि की पूजा व व्रत-उपवास के दौरान पालन करने वाले नियमों के बारे में बताने वाले हैं जिनका ध्यान रखना बेहद आवश्यक माना जाता है।
ज्योतिष के अनुसार नवरात्र के 9 दिनों तक उपवास करने वाले, मंत्र जप करने वाले य फिर कोई अन्य साधना करने वाले के जातक के लिए कुछ नियमों का पालन ज़रूरी है, अन्यथा 9 तक की गई पूजा निष्फल हो जाती है।
नवरात्रि में ज़रूर करें इन 7 नियमों का पालन-
1- नवरात्रि के नौ दिन तक रोज़ाना सुबह 6 बजे तक स्नान कर लें। हो सके तो हर दिन नए वस्त्र पहनें। अगर नए वस्त्र पहनने संभन न हो तो कम से कम रोज़ाना साफ और धुले हुए वस्त्र ही धारण करें।
2- जो लोग नवरात्रि ने व्रत न रख सके वो दिन में सिर्फ एक बार सात्विक भोजन करें।
3- हो सके तो नवरात्रि के पूरे नौ दिनों तक देवी को घर का बना हुआ भोग ही लगाएं। अगर ऐसा कर पाने में सक्षम न हो तो माता रानी को दूध और फलों का भोग लगा अवश्य लगाएं।
4- चैत्र नवरात्रि के पावन 9 दिनों तक घर के पूजा स्थल में और मंदिर में सुबह और शाम गाय के घी का दीपक जलाएं।
5- अगर संभव हो तो 9 दिनों तक रोज़ाना 7 साल से छोटी दो कन्याओं को फल या अन्य कोई वस्तु भेंट करें। ऐसा सुबह-शाम दोनों समय किया जा सकता है।

6- पूजा-पाठ में माता के बीज मंत्र, चालीसा, आरती, स्त्रोत आदि का जप पाठ अवश्य करें। इसके अलावा दुर्गा सप्तशती या देवी माहात्म्य पारायण करने से भी जीवन में उत्कृष्ट प्रगति, समृद्धि और सफलता मिलती हैं।
7- पूरे नौ दिन घर में गाय के घी का अखण्ड दीपक जलाएं। ऐसा करना आवश्यक नहीं है।