ये बात तो सब जानते ही हैं कि हिंदू धर्म में पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है और साथ ही दीपक भी जलाया जाता है। जिन लोगों को पूजा की विधि के बारे में कोई जानकारी नहीं होती तो वे लोग केवल एक दीपक जलाकर ही भगवान से प्रार्थना कर सकते हैं और फिर वहीं दीपक से भगवान की आरती उतारी जाती है। कई बार आरती के महत्व को देखते हुए ही दीया तैयार किया जाता है। तो आज हम आपको दीए जलाने को लेकर बताए गए नियमों के बारे में बताएंगे।
दीया जलाते व पूजा करते समय ये बात ध्यान में रखनी चाहिए कि घी का दीपक अपने बाएं हाथ की ओर ही जलाएं और अगर तेल का दीपक जलाना हो तो दाएं हाथ की ओर रखना चाहिए।
दीपक जलाते समय इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
शुभम् करोति कल्याणं, आरोग्यं धन संपदाम्।
शत्रु बुद्धि विनाशाय, दीपं ज्योति नमोस्तुते।।
इस मंत्र का सरल अर्थ यह है कि शुभ और कल्याण करने वाली, आरोग्य और धन संपदा देने वाली, शत्रु बुद्धि का विनाश करने वाली दीपक की ज्योति को हम प्रणाम करते हैं।
पूजा करते समय एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि पूजन करते या मंत्र जाप करते समय दीया बुझे नहीं, ऐसा होने पर पूजा का फल नहीं मिलता।
भगवान की प्रतिमा के ठीक सामने दीपक रखना चाहिए। कभी प्रतिमा के पीछे या इधर-उधर दीपक नहीं रखना चाहिए।
शास्त्रों में कहा गया है कि जब घी का दीपक जला रहें हो तो सफ़ेद रुई की बत्ती और तेल के लिए लाल धागे की बत्ती शुभ होती है।
कहते हैं कि कभी भी दीप जलाने के लिए खंडित दीपक नहीं होना चाहिए। क्योंकि धार्मिक कामों में कभी भी किसी खंडित चीज़ का प्रयोग नहीं होना चाहिए।