आज के इस आधुनिक दौर में लोग बहुत तेजी से आगे बढ़ते जा रहे हैं। हर कोई चाहता है कि इसका घर बहुत अच्छा व सबसे अलग दिखे। ऐसे में व्यक्ति अपने घर को बनाने व सजाने के लिए बहुत मेहनत भी करता है। लोग आज के समय में अपने घरों में बाथरूम और टॉयलेट एक साथ बनाने के लिए अधिक पहल दे रहे हैं। लेकिन क्या किसी को इस बात का अंदाजा भी है कि इसके कारण व्यक्ति को कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जी हां, आक साथ बाथरूम और टॉयलेट होना वास्तु की दृष्टि से बिलकुल गलत माना गया है। आज हम आपको इससे होने वाले नुकसार के बारे में बताने जा रहे हैं।
वास्तु शास्त्र के नियम के अनुसार इससे घर में वास्तुदोष उत्पन्न होता है। इस दोष के कारण घर में रहने वालों को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है और वे समस्याएं किसी भी तरह की हो सकती हैं।
इस तरह के दोष से पति-पत्नी एवं परिवार के अन्य सदस्यों के बीच अक्सर मनमुटाव एवं वाद-विवाद की स्थिति बनी रहती है। घर में अधिक समय तक रहने का किसी का भी मन नहीं लगता है।
वास्तु शास्त्र में बाथरूम में चंद्रमा का वास और टॉयलेट में राहु का वास रहता है। यदि चंद्रमा और राहु एक जगह इकट्ठे होते हैं तो यह ग्रहण योग बनाते हैं। इससे चंद्रमा दूषित हो जाता है। चंद्रमा के दूषित होते ही कई प्रकार के दोष उत्पन्न होने लगते हैं क्योंकि चंद्रमा मन और जल का कारक है जबकि राहु को विष समान माना गया है जो मस्तिष्क को खराब करता है। इस युति से जल विष युक्त हो जाता है। जिसका प्रभाव पहले तो व्यक्ति के मन पर पड़ता है और दूसरा उसके शरीर पर।
चंद्र और राहु का संयोग होने से मन और मस्तिष्क विषयुक्त हो जाते हैं। इसलिए लोगों में सहनशीलता की कमी आती है। मन में एक दूसरे के प्रति द्वेष की भावना बढ़ती है।
ऐसा कहते हैं कि जीवन में धन की आवक गुरु और चंद्र से होती है। चंद्र से मन की मजबूती होती है तो राहु का सकारात्मक पक्ष यह है कि वह कल्पना शक्ति का स्वामी, पूर्वाभास तथा अदृश्य को देखने की शक्ति प्रदान करता है। अत: दोनों के खराब होने से जहां धन की हानी होती है वहीं मन और मस्तिष्क कमजोर हो जाता है।