हमारे सनातन धर्म में बहुत से ऐसे रीति रिवाज़ व संस्कार शामिल हैं, जिनकी पालना करना हर किसी के लिए बेहद जरूरी है। हमारी सनातन संस्कृति में सिर झुका कर हाथ जोड़कर नमस्कार करने रिवाज़ होता है। इसके साथ ही बड़ों का आशीर्वाद लेने के लिए चरण स्पर्श भी किए जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार भगवान श्रीराम नित्यप्रति सुबह उठकर सबसे पहले माता-पिता के चरणों में सिर झुकाकर आशीर्वाद प्राप्त करते थे। भगवान गणेश भी देवताओं में प्रथम पूज्य अपने माता-पिता के आशीर्वाद से ही बने।
कहते हैं कि जब कोई हमसे छोटा हमारे पैर छूता है या हम अपने से बड़ों के चरण स्पर्श करते हैं तो हमरे दिन से आशीर्वाद ही निकलता है, जिससे कि सामने वाले को खुशी व सकारात्मक फल मिलते हैं। माना जाता है कि आशीर्वाद देने से चरण स्पर्श करने वाले व्यक्ति की समस्याएं ख़त्म होती हैं। अनेक शोधों से अब यह स्पष्ट हो चुका है कि चरण स्पर्श करने से शारीरिक, मानसिक एवं वैचारिक विकास भी अच्छा होता है। जब हम किसी बड़े के पैर छूते हैं तो हम अपने हाथों को उनके पैरों पर रखते हैं और वो अपना स्नेहभरा हाथ हमारे सिर पर रखते हैं। इस तरह विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा का चक्र बन जाता है और उनकी ऊर्जा हमारे अंदर प्रवाहित होने लगती है।
वैज्ञानिक न्यूटन के सिद्धांत के अनुसार सभी वस्तुओं में गुरुत्वाकर्षण होता है। इसमें सिर को उत्तरी ध्रुव और पैरों को दक्षिणी ध्रुव माना गया है। ये गुरुत्व या चुम्बकीय ऊर्जा हमेशा उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव की ओर प्रवाहित होकर अपना चक्र पूरा करती है। शरीर के दक्षिणी ध्रुव मतलब पैरों में यह ऊर्जा बहुत अधिक मात्रा में इकठ्ठी हो जाती है। पैरों से हाथों द्वारा इस ऊर्जा को ग्रहण करने की प्रक्रिया ही चरण स्पर्श कहलाती है।
अपने से बड़ों का आशीर्वाद सुरक्षा कवच का कार्य करता है जिससे सोच सकारात्मक हो जाती है।ये सब चीज़ें पैर छूने वाले व्यक्ति को सफलता के नज़दीक ले जाती है। चरण स्पर्श करने से अमुक व्यक्ति की शारीरिक कसरत भी होती है। झुककर पैर छूने, घुटने के बल बैठकर या साष्टांग दण्डवत करने से शरीर लचीला होता है, इसके साथ ही आगे की ओर झुकने से सिर में रक्त का संचार बढ़ता है जो सेहत के लिए फायदेमंद होता है। पैर छूते समय यदि बाएं हाथ से बाएं पैर और दाएं हाथ से दाएं पैर का स्पर्श किया जाए तो सजातीय ऊर्जा का प्रवेश सजातीय अंग से तेज़ी से पूर्ण होता है।