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मस्से भी देते हैं भविष्य की जानकारी


भविष्य कथन की अनेक विधियां प्रचलित हैं। इनमें हस्तरेखा, अंक ज्योतिष विद्या, कुंडली देखना, ताश द्वारा भविष्य ज्ञान, रमल द्वारा भविष्य ज्ञान, टैरो कार्ड, क्रिस्टल बॉल आदि न जाने कितनी विधियां हैं। इनके अतिरिक्त भी हमारे प्राचीन ऋषि-मुनि लोगों को उनका चेहरा और शरीर देखकर उनके भविष्य के बारे में बहुत कुछ बता दिया करते थे। इसके पीछे उनका गहन अध्ययन और प्रत्यक्ष अनुभव रहा होगा। इसी आधार पर उन्होंने तिल, मस्सों और भौंरी के आधार पर व्यक्तियों के व्यवहार, भविष्य आदि का फलकथन किया और उनको लिपिबद्ध कर दिया। इसी महत्वपूर्ण विद्या को ध्यान में रखते हुए हम आपको मस्सा के आधार पर विभिन्न मिलने वाले फलों एवं परिणामों से अवगत करा रहे हैं।
मस्से के तीन भेद कहे गए हैं
शरीर की त्वचा पर काले रंग का बाहर की ओर निकला (उठा) हुआ मांस बिंदू।
त्वचा के भीतर दबा हुआ, परन्तु कुछ उभरा हुआ रोमयुक्त मांस-बिंदू।

गेहुएं रंग का मांस-बिंदू, जो त्वचा के ऊपर रक्त विकार के कारण उभर जाता है और कुछ समय बाद स्वयं ही अथवा औषधोपचार से कटकर गिर जाता है।
आकार के अनुसार मस्सा यदि राई अथवा बाजरे के दाने के बराबर हो तो वह अच्छा होता है। इससे बड़े आकार का हो तो वह शुभ नहीं होता।
एक बात तो स्मरण रखने योग्य है कि जब कभी मस्से का जन्म होता है अर्थात मस्से का उद्गम आरंभ हो जाता है, उस समय जातक के मन में चिंताएं उत्पन्न होना आदि उसके प्रभाव आरंभ हो जाते हैं। तदुपरांत जब मस्सा पूर्ण हो जाता है, तब यह अपना प्रभाव प्रदर्शित करना आरंभ कर देता है। पश्चिमी विद्वानों ने मस्सा तथा लहसुन आदि का प्रभाव भी तिल के समान ही माना है, परन्तु भारतीय विद्वानों ने इन सबके प्रभाव के विषय में अलग-अलग वर्णन किया है।
यदि सिर के ऊपरी भाग पर मस्सा हो तो जातक को विपुल धन की प्राप्ति होती है।
यदि सिर के पिछले भाग पर मस्सा हो तो उसे सौभाग्य का लक्षण समझना चाहिए।
यदि ललाट पर मस्सा हो तो धन का आगम अधिक होता है।
यदि मस्तक पर मस्सा हो तो जातक को हर जगह लाभ, यश एवं सम्मान की प्राप्ति होती है।
यदि भौंह के ऊपर मस्सा हो तो उसे दुर्भाग्य का लक्षण समझना चाहिए।
यदि दोनों भौंहों के बीच में मस्सा हो तो जातक स्वयं तो दुष्ट प्रकृति का होता है परन्तु उसे प्रियजनों का साथ एवं सहयोग विशेष रूप से प्राप्त होता है।
यदि आंख की पलकों के ऊपर मस्सा हो तो वह जातक को दुख देने वाला होता है।
यदि नेत्र पर मस्सा हो तो जातक को अपने प्रियजनों के दर्शन का सुख प्राप्त होता है।
यदि कनपटी अथवा भौंह के ऊपर ललाट एवं आंख की हड्डी के संगम-स्थल पर मस्सा हो तो जातक सर्वस्व त्याग कर संन्यास ग्रहण करता है।
जिस स्थान से आंख से आंसू गिरते हैं, उस स्थान पर मस्सा हो तो जातक के हृदय में चिंता उत्पन्न होती है।
यदि नाक पर मस्सा हो तो नवीन वस्त्र प्राप्त होता है।
यदि गाल पर मस्सा हो तो पुत्र की प्राप्ति होती है।
यदि होंठ पर मस्सा हो तो उत्तम भोजन की प्राप्ति होती है।
यदि कान पर मस्सा हो तो जातक को आध्यात्मिक-ज्ञान अथवा आभूषणों की प्राप्ति होती है।
यदि कंठ पर मस्सा हो तो जातक को खाने-पीने के अच्छे पदार्थ प्राप्त होते हैं।
यदि हसली (सिर और गर्दन के जोड़ वाला भाग) पर मस्सा हो तो लोहे के शस्त्र अथवा औजार द्वारा ग्रीवा पर चोट लगती है।