आयुर्वेद के हैं जनक और देवताओं के चिकित्सक : धनतेरस के दिन भगवान श्रीहरि के 12वें अवतार धनवंतरि की पूजा का भी विधान है। वह न केवल आयुर्वेद के जन्मदाता हैं बल्कि देवताओं के चिकित्सक भी हैं। मान्यता है कि धनतेरस यानी कि कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि के ही दिन भगवान धनवंतरि का जन्म हुआ था। यही वजह है कि धनतेरस के दिन आयुर्वेद के जनक कहे जाने वाले धनवंतरि का भी जन्मदिन मनाया जाता है। तो आइए भगवान धनवंतरि के बारे में विस्तार से जानते हैं….
भगवान धनवंतरि के जन्म की मिलती है ऐसी कथा : कहते हैं कि भगवान धनवंतरि की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई थी। वह समुद्र से अमृत का कलश लेकर निकले थे जिसके लिए देवों और असुरों में संग्राम हुआ था। समुद्र मंथन की इस कथा का उल्लेख श्रीमद्भागवत पुराण, महाभारत, विष्णु पुराण, अग्नि पुराण आदि पुराणों में मिलता है। एक अन्य कथा के अनुसार काशी के राजवंश में धन्व नाम के एक राजा ने उपासना करके अज्ज देव को प्रसन्न किया और उन्हें वरदान स्वरूप धनवंतरि नामक पुत्र मिला। इसका उल्लेख ब्रह्म पुराण और विष्णु पुराण में मिलता है। यह समुद्र मंधन से उत्पन्न धन्वंतरि का दूसरा जन्म था। धन्व काशी नगरी के संस्थापक काश के पुत्र थे।
भगवान धनवंतरि के जन्म की यह भी है कथा : भगवान धनवंतरि के जन्म की एक और कथा मिलती है। इसके अनुसार एक बार गालव ऋषि प्यास से व्याकुल होकर वन में भटकर रहे थे तो वीरभद्रा नाम की एक कन्या घड़े में पानी लेकर जा रही थी। उसने ही ऋषि गालव की प्यार बुझाई। जिससे प्रसन्न होकर गालव ऋषि ने आशीर्वाद दिया कि तुम योग्य पुत्र की मां बनोगी। लेकिन जब वीरभद्रा ने कहा कि वह एक वेश्या है तो ऋषि उसे लेकर आश्रम गए और उन्होंने वहां कुश की पुष्पाकृति आदि बनाकर उसके गोद में रख दी और वेद मंत्रों से अभिमंत्रित कर प्रतिष्ठित कर दी वही धन्वंतरि कहलाए।
सुश्रुत मुनि को भी उपदेश धनंवतरिजी से मिला : भगवान धनवंतरि को आयुर्वेद का जन्मदाता माना जाता है। उन्होंने विश्वभर की वनस्पतियों पर अध्ययन कर उसके अच्छे और बुरे प्रभाव-गुण को प्रकट किया। भगवान धनवंतरि ने कई ग्रंथ लिखे, उनमें से ही एक है धनवंतरि संहिता जो आयुर्वेद का मूल ग्रंथ है। आयुर्वेद के आदि आचार्य सुश्रुत मुनि ने भगवान धनवंतरि से ही इस चिकित्साशास्त्र का ज्ञान प्राप्त किया था। बाद में चरक आदि ने इस परंपरा को आगे बढ़ाया।
धनतेरस के दिन इसलिए करते हैं धनवंतरि की पूजा : संसार में आयुर्वेद के प्रसार के लिए समुद्र मंथन के दौरान भगवान धनवंतरि प्रकट हुए थे। उस दिन कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि थी इसीलिए इस तिथि यानी कि धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरि की पूजा कर आरोग्य और स्वास्थ्य धन की प्रार्थना की जाती है। हमारे समाज में एक कहावत प्रचलित है कि दुनिया का पहला सुख एक स्वस्थ शरीर है। इसी कामना के साथ धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरि की पूजा की जाती है। भगवान धनवंतरि चार भुजाधारी हैं। इनके एक हाथ में आयुर्वेद ग्रंथ, एक हाथ में औषधि कलश, एक हाथ में जड़ी बूटी और एक हाथ में शंख होता है। ये प्राणियों पर कृपा कर उन्हें आरोग्य प्रदान करते हैं। इसलिए धनतेरस पर केवल धन प्राप्ति की कामना के लिए पूजा न करें, स्वास्थ्य धन प्राप्ति के लिए धनवंतरि भगवान की पूजा करें।