रणजी ट्रॉफी फाइनल- गुजरात बनाम मुंबई
विवेक शर्मा, इंदौर से
इंदौर 13 जनवरी : इन दिनों अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर टेस्ट क्रिकेट दर्शकों की कमी से जूझ रहा है। साथ ही दर्शकों को स्टेडियम तक खींचने के लिए पिंक बॉल और दिन-रात के मैच जैसे अनूठे प्रयोग भी जारी है लेकिन इन प्रयोगों को अस्वीकार करने वाले भी हैं। पूर्व टेस्ट खिलाड़ी डब्ल्यू.वी.रमन का मानना है कि दर्शकों को खींचने के लिए खेल के मूल स्वरुप से छेड़छाड़ करना ठीक नहीं है। दर्शकों को आकर्षित करना मार्केंटिग के लोगों का काम है औऱ इसके लिए कुछ भी करना खेल के लिए अच्छा नहीं है।
रमन मानते हैं कि खेल प्रशासकों के लिए ये एक बड़ी चुनौती है। वर्किंग कल्चर बदल रहा है और टीवी, मोबाईल और वेबसाइट्स के रुप में नए विकल्प आ गए हैं। दर्शक अपना काम छोड़ कर मैच देखने नहीं जा सकते। उसके मुकाबले घर पर बैठकर रिप्ले देखना, बड़े खिलाड़ियों की कॉमेंट्री सुनना और स्टेडियम की गर्मी के मुकाबले घर के एसी में मैच देखना ज्यादा सुविधाजनक होता है। इसके समाधान के लिए स्कूली बच्चों और क्रिकेट एकेडमी के बच्चों को आमंत्रित किया जाना चाहिए। यही कदम मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन ने इंदौर में खेले जा रहे मुंबई और गुजराज के बीच रणजी ट्रॉफी फाइनल के लिए उठाया है।
10 जनवरी से शुरू हुए इस मुकाबले में क्रिकेट प्रेमी दर्शक सीमित मात्रा में आ रहे हैं लेकिन स्कूली बच्चों का उत्साह देखते ही बनता है। मैच देखने आए सातवीं क्लास के रिजक बताते हैं कि ‘पार्थिव पटेल से काफी प्रभावित हूं और इस मैच में सीखा कि फ्रंट फुट पर ज्यादा खेलना चाहिए।‘ वहीं एक निजी स्कूल की टीचर प्रतीक्षा बताती हैं कि स्टेडियम में बच्चों को लाने से उनमें क्रिकेट के प्रति आकर्षण बढ़ता है, खेल भावना सीखते हैं और साथ ही अनुशासन में भी इजाफा होता है। वहीं एमपीसीए के सीईओ रोहित पंडित के मुताबिक ‘हमने 40 से ज्यादा स्कूलों को आमंत्रण भेजा है ताकि बच्चे इस मैच के माहौल से प्रेरित हो सकें।‘ रणजी फाइनल के इस मुकाबले के लिए दर्शकों के लिए प्रवेश नि:शुल्क रखा गया है।