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रूस की सीमा तक पहुंचे अमेरिका के B 52 बॉम्बर, नाटो ने पुतिन को दिखाई ताकत, तीसरे विश्वयुद्ध की हो रही तैयारी?


रूस और यूक्रेन के युद्ध के बीच, दो अमेरिकी बी-52 बमवर्षकों ने रूसी हवाई क्षेत्र के करीब एक मिशन को अंजाम दिया। यह कदम दिखाता है कि नाटो रूस की आक्रामकता को लेकर तैयार है। नाटो ने यूरोप को रूस के साथ संभावित पूर्ण युद्ध के लिए तैयार रहने को कहा है।
रूस और यूक्रेन युद्ध के बीच दो अमेरिकी बी-52 स्ट्रैटोफोर्ट्रेस बमवर्षकों ने रूसी हवाई क्षेत्र के पास एक मिशन को अंजाम दिया। यह रूस के खिलाफ नाटो के रुख में महत्वपूर्ण वृद्धि दिखाता है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब नाटो चीफ ने चेतावनी दी कि यूरोप को पुतिन के साथ पूर्ण युद्ध के लिए तैनात रहना चाहिए। हाल के सप्ताह में उत्तर कोरिया ने पुतिन का समर्थन करने के लिए हजारों सैनिक रूस में भेजे हैं। वहीं पिछले सप्ताह यूक्रेन ने अपनी पहली लंबी दूरी की मिसाइल लॉन्च की है।
ऐसी आशंका है कि युद्ध दूसरे देशों की सीमाओं तक फैल सकती है। जर्मनी अपनी सुरक्षा के लिए एहतियाती कदम उठाने वाला नवीनतम देश है। सोमवार को दो अमेरिकी वायु सेना बी-52 बमवर्षक उत्तरी यूरोप में प्रवेश करने से पहले उत्तरी सागर के ऊपर उत्तर-पूर्व की ओर बढ़े। रडार डेटा के मुताबिक विमान यूके के RAF फेयरफोर्ड से उड़ा और बाल्टिक सागर के ऊपर से उड़ान भरते हुए रूस के कलिनिनग्राद के करीब पहुंच गया।
रूस से लड़ने के लिए नाटो तैयार – द सन की रिपोर्ट के मुताबिक एक सैन्य विश्लेषक ने कहा, ‘बी-52 मिशन एक सीधा संदेश है। यह दिखाता है कि नाटो अपनी क्षेत्र की रक्षा करने के लिए किसी भी आक्रामकता का जवाब देने के लिए तैयार और सक्षम है।’ शीत युद्ध के बाद से बी-52 स्ट्रैटोफोर्ट्रेस अमेरिकी वायु सेना की ताकत का प्रतीक है। यह लंबी दूरी वाला बमवर्षक है जो कई तरह के घातक हथियार ले जाने में सक्षम है। इसकी सहनशीलता और अनुकूलन क्षमता इसे अमेरिका और उससे जुड़ी रक्षा रणनीतियों में महत्वपूर्ण बनाता है।
नाटो ने तैयार रहने को कहा – कलिनिनग्राद रूस के सबसे सैन्यीकृत क्षेत्रों में से एक है। यह यूरोप में है, जिसकी सीमा पोलैंड और लिथुआनिया से लगती है। इसके एक तरफ बाल्टिक सागर है। इसके करीब से उड़ान भरना सीधा संकेत है कि नाटो रूस की आक्रामकता का मुकाबला करने को तैयार है। ब्रुसेल्स में बोलते हुए नाटो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को व्यवसायों को युद्ध के जैसी मानसिकता अपनाने, रूस और चीन की आक्रामक नीतियों से पैदा हुई कमजोरियों को कम करने के लिए उत्पादन और सप्लाई चेन को एडजस्ट करने का आग्रह किया।