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भारत और रूस में 100 अरब डॉलर व्‍यापार नहीं होगा आसान, भारत को मंजूर नहीं पुत‍िन की यह मांग, जानें विवाद


यूक्रेन युद्ध के बीच भारत और रूस द्विपक्षीय व्‍यापार को साल 2030 तक 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने पर सहमत हुए हैं। पीएम मोदी और रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन के बीच मुलाकात में दोनों देशों की मुद्राओं के इस्‍तेमाल पर भी सहमति बनी है ताकि पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों को मात दिया जा सके। विश्‍लेषकों का कहना है कि इससे अब भारत में रूस से ज्‍यादा तेल, गैस, कोयला और अन्‍य चीजों को आने का रास्‍ता साफ होगा। ऐसा अनुमान जताया जा रहा है कि इस 100 अरब डॉलर में 90 अरब डॉलर का रूस भारत को निर्यात करेगा, वहीं भारत केवल 10 अरब डॉलर का ही निर्यात मास्‍को को कर पाएगा। इससे रूस और भारत के बीच व्‍यापार घाटा और काफी ज्‍यादा बढ़ जाएगा। भारत और रूस के बीच न केवल व्‍यापार घाटे को लेकर विवाद है, बल्कि पेमेंट का भी मुद्दा फंसा हुआ है।
रूस चाहता है कि अमेरिकी प्रतिबंधों को देखते हुए भारत रुपये के साथ-साथ ज्‍यादा से ज्‍यादा चीन की मुद्रा युआन में व्‍यापार करे। भारत ने साफ कह दिया है कि वह चीनी मुद्रा में कोई भी पेमेंट नहीं करेगा। भारत ने यूएई की मुद्रा में पेमेंट का विकल्‍प दिया है और इसमें व्‍यापार हो भी रहा है लेकिन भविष्‍य में अगर ट्रेड बढ़ता है तो रूस के लिए मुश्किल बढ़ सकती है और वह भारत पर चीनी मुद्रा में भुगतान का दबाव और बढ़ा सकता है। दरअसल, यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद चीन अब रूस के लिए बहुत महत्‍वपूर्ण हो गया है। रूस और चीन के बीच व्‍यापार अब 240 अरब डॉलर तक पहुंच गया है।
भारत और रूस का व्‍यापार 65 अरब डॉलर पार – वहीं भारत की बात करें तो यह अभी 65 अरब डॉलर है। गलवान हिंसा के बाद से ही भारत ने चीन के खिलाफ सख्‍त रुख अपना रखा है। भारत ने चीन की दर्जनों कंपनियों के खिलाफ प्रतिबंध लगा दिया है। भारत ने चीन के निवेश को भी रोक दिया है। भारत ने यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद रूस से व्‍यापार को कई गुना बढ़ा दिया है। भारत अभी रूस को केवल 4.2 अरब डॉलर का ही निर्यात करता है। इससे व्‍यापार घाटा 57 अरब डॉलर को भी पार कर गया है। व्‍यापार घाटे के मुद्दे को भारत ने कई बार रूस के सामने उठाया है और कहा है कि मास्‍को भारत से आयात को बढ़ाए।
भारत और रूस के बीच जारी संयुक्‍त बयान में आर्थिक सहयोग और व्‍यापार को बढ़ाने पर सहमति बनी है। भारत चाहता है कि राष्‍ट्रीय मुद्राओं में द्विपक्षीय भुगातन हो। साथ ही कस्‍टम की प्रक्रिया में आ रही बाधाओं को दूर किया जाए। भारत और रूस के बीच नए व्‍यापारिक रास्‍तों के इस्‍तेमाल पर सहमति बनी है। इसमें चेन्‍नई-व्‍लादिवोस्‍तोक समुद्री रास्‍ता, नार्दन सी रूट और अंतरराष्‍ट्रीय उत्‍तरी दक्षिणी ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर शामिल है। रूस भारत में परमाणु रिएक्‍टर लगाएगा और यूरेनियम की आपूर्ति भी करेगा ताकि ऊर्जा का निर्माण किया जा सके। भारत अभी सबसे ज्‍यादा तेल रूस से खरीद रहा है। यह सिलसिला यूक्रेन युद्ध से शुरू हुआ है। पुतिन ने खुद कहा कि भारत और रूस के बीच व्‍यापार पिछले साल 66 फीसदी बढ़ गया।