
श्रीलंका की संसद की चयन समिति (पार्लियामेंट सिलेक्ट कमेटी, पीएससी) ने बुधवार को ईस्टर धमाकों को लेकर करीब 1600 से अधिक पन्नों की जांच रिपोर्ट जारी की । रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि 21 अप्रैल को हुए धमाकों के दौरान भारतीय उच्चायोग भी आतंकियों के निशाने पर था। बता दें कि ईस्टर के दिन तीन चर्च और पांच होटलों में 8 सीरियल धमाके हुए थे, जिसमें 11 भारतीयों समेत 277 की मौत हो गई थी।
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, 1649 पेज की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि फिदायीन धमाकों की जिम्मेदारी इस्लामिक जिहादी संगठन नेशनल तौहीद जमात (एनटीजे) और इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने ली थी। वहीं भारतीय खुफिया विभाग ने इन धमाकों से करीब 15 दिन पहले राज्य खुफिया सेवा (स्टेट इंटेलिजेंस सर्विस, एसआईएस) को अलर्ट भेजा था। हालांकि इससे धमाके रोकने में सफलता नहीं मिली। समिति की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य खुफिया सेवा को धमाकों की खुफिया जानकारी 4 अप्रैल को ही मिल गई थी, लेकिन एजेंसी प्रमुख इस पर समय रहते कदम नहीं उठा पाए।
उन्होंने अपने उच्चाधिकारियों तक जानकारी शेयर करने में देरी की और नतीजतन ईस्टर धमाके हुए। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि फिदायीन धमाके रोकने में एसआईएस, रक्षा सचिवालय, पुलिस प्रमुख, सेना प्रमुख और अन्य खुफिया एजेंसी प्रमुख सभी नाकाम रहे। बता दें कि इससे पहले श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना भी अपनी एजेंसी को असफल बता चुके हैं।
जबकि जांच रिपोर्ट में बताया गया कि राष्ट्रपति स्वयं भी प्रमुख विभागों को सही नेतृत्व देने में नाकाम रहे। सरकार ने भी सक्रियता नहीं दिखाई। समिति के चेयरमैन और डिप्टी स्पीकर आनंद कुमारसिरि ने कहा कि इन धमाकों के मुख्य अपराधी कौन है, यह संसद तय नहीं कर सकती। समिति के पास केवल मामले में जांच कर रिपोर्ट पेश करने के अधिकार है।
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