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2017: शनि कब-कब बदलेंगे चाल, बरतें सावधानी

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ज्योतिषशास्त्र के दार्शनिक खंड अनुसार सूर्य पुत्र शनि को पापी ग्रह माना गया है और इसे नवग्रह में न्यायाधीश की उपलब्धि प्राप्त है। शनि को नवग्रह में दास की भी पदवी प्राप्त है। ये कृष्ण वर्ण के हैं तथा इनका लंगड़ाकर चलना इनकी धीमी गति का कारण है। शनि का वाहन कौआ है। इने रोग, दुख, संघर्ष, बाधा, मृत्यु, दीर्घायु, भय, व्याधि, पीड़ा, नंपुसकता व क्रोध का कारक माना गया है। मकर व कुंभ राशियों के स्वामी हैं।

शास्त्रनुसार यदि कुण्डली में सूर्य पर शनि का प्रभाव हो तो व्यक्ति के पितृ सुखों में कमी देखी जाती है। शास्त्रनुसार शनि को पापी ग्रह माना गया है। शनि को मारक, अशुभ व दुख का कारक माना जाता है। शास्त्र उत्तर कालामृत के अनुसार शनि कमजोर स्वास्थ्य, बाधाएं, रोग, मृत्यु, दीर्घायु, नंपुसकता, वृद्धावस्था, काला रंग, क्रोध, विकलांगता व संघर्ष का कारक ग्रह माना गया है। वास्तविकता में शनि ग्रह न्यायाधीश है जो प्रकृति में संतुलन पैदा करता है व हर प्राणी के साथ न्याय करता है। जो लोग अनुचित विषमता व अस्वाभाविकता और अन्याय को आश्रय देते हैं, शनि केवल उन्हीं को प्रताड़ित करता है।

ज्योतिषशास्त्र की गोचर प्रणाली अनुसार शनि गुरुवार दिनांक 26.01.17 को रात 09:34 पर वृश्चिक से धनु राशि में प्रवेश करेंगे। शनि के इस राशि परिवर्तन से मकर राशि हेतु शनि की साढ़ेसाती शुरू होगी। वृश्चिक राशि हेतु यह अंतिम चरण की साढ़ेसाती होगी व तुला राशि साढ़ेसाती से मुक्त होंगे। शनि के धनु में आते ही कन्या राशि हेतु लघु कल्याणि शुरू होगी व वृष राशि हेतु अष्ठम शनि की ढ्य्या शुरू होगी। शनि धनु राशि में पहले केतु के नक्षत्र मूल में आकर बाद में शुक्र व सूर्य के नक्षत्र में भ्रमण करेंगे।

साल 2017 में शनि का गोचर अत्यधिक अस्थिर रहेगा क्योंकि यह कुछ समय के लिए वक्री हो कर पुनः वृश्चिक राशि में आकर दोबारा मार्गी होकर धनु राशि में प्रवेश करेंगे। साल 2017 में शनि अपनी वक्र अवस्था से बुधवार दिनांक जून 21.06.17 को रात 01:37 पर धनु से वृश्चिक में जाएंगे तथा पुनः सक्रिय होकर गुरुवार दिनांक 26.10.17 को वृश्चिक से धनु में प्रवेश करेंगे।

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