नई दिल्ली. भारत-रूस के बीच शनिवार को ब्रिक्स 2016 समिट से पहले 16 करार हुए। इनमें 40 हजार करोड़ रुपए की 2 बड़ी डिफेंस डील भी शामिल हैं। पहली- पांच S-400 एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम और दूसरी-कामोव केए 226 टी हेलिकॉप्टर को लेकर। S-400 रूस का सबसे एडवांस एयर डिफेंस सिस्टम है, भारत 5 ऐसे सिस्टम खरीदेगा। जबकि कुल 200 कामोव केए 226 टी हेलिकॉप्टर भारत को मिलेंगे, इनमें 40 रूस से आएंगे जबकि बाकी देश में ही बनेंगे। इनके अलावा दोनों देशों के बीच स्टील्थ फ्रिगेट को लेकर भी एक बड़ा करार हुआ है। डिफेंस डील से जुड़े क्या हैं तीनों करार…
- S-400 एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम
– रूस ने अपने इस सबसे एडवांस एयर डिफेंस सिस्टम को सीरिया में तैनात कर रखा है।
– भारत 33 हजार करोड़ रुपए खर्च कर रूस से ऐसे 5 सिस्टम खरीदेगा।
– S-400 डिफेंस सिस्टम में 400 किमी दूर से आ रहे टारगेट को ट्रैक करने की कैपिसिटी है।
– यह पाकिस्तान या चीन की 36 न्यूक्लियर पावर्ड बैलिस्टिक मिसाइलों को एक वक्त में एक साथ टारगेट कर सकेगा।
– इस सिस्टम से 3 तरह की मिसाइलों को दागा जा सकता है।
– इस डिफेंस सिस्टम से मिसाइलों, ड्रोन और यहां तक कि फाइटर प्लेन्स को भी निशाना बनाया जा सकेगा।
– यह डिफेंस सिस्टम एक तरह से मिसाइल शील्ड का भी काम करेगा। यह पाकिस्तान या चीन की न्यूक्लियर पावर्ड बैलिस्टिक मिसाइलों से भारत को शील्ड देगा।
– इसके पास अमेरिका के सबसे एडवांस्ड फाइटर जेट एफ-35 को गिराने की भी कैपिसिटी है।
– इस सौदे के साथ ही चीन के बाद इस सिस्टम को खरीदने वाला भारत दूसरा देश बन गया है। - कामोव केए 226 टी हेलिकॉप्टर
– भारत को 200 कामोव-226 टी के हेलिकॉप्टर मिलेंगे। 40 रूस से आएंगे। बाकी देश में ही बनेंगे।
– यह एक लाइट वेट मल्टी परपज हेलिकॉप्टर है। यह मिलिट्री ऑपरेशन्स और नैचुरल डिजास्टर के दौरान बेहद काम आता है।
– यह 8.6 मीटर लंबा, 3.2 मीटर चौड़ा और 4.1 मीटर ऊंचा है। छोटा होने से लिमिटेड स्पेस में लैंड या टेकऑफ कर सकता है।
– हेलिकॉप्टर में सात पैराट्रूपर के बैठने की जगह है। ये 3500 kg तक सामान ले जा सकता है।
– यह एडवांस नेविगेशन सिस्टम से लैस है। कम शोर के कारण यह खुफिया मिशन के लिए बहुत कारगर है।
– इस सौदे से नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट मेक इन इंडिया को बड़ा बूस्ट मिलने की उम्मीद है। - स्टील्थ फ्रिगेट से नेवी को मिलेगी मजबूती
– रूस के साथ एडमिरल ग्रिगोरोविच क्लास के स्टील्थ फ्रिगेट को लेकर भी एक करार हुआ।
– इंडियन नेवी को ये फ्रिगेट काफी ताकतवर बना देंगे और वह करीब-करीब चीन की बराबरी पर आ जाएगी।