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तालिबान को बड़ा झटका, संयुक्‍त राष्‍ट्र ने सदस्‍यता का दावा किया खारिज, पाकिस्‍तान ने भी दिया ‘धोखा’


अफगानिस्‍तान में दो साल से भी ज्‍यादा समय से राज कर रहे तालिबानी आतंकियों को बड़ा झटका लगा है। संयुक्‍त राष्‍ट्र की शक्तिशाली समिति ने लगातार तीसरी बार तालिबानी सरकार की सदस्‍यता के दावे को खारिज कर दिया है। इस सदस्‍यता के बाद ही संयुक्‍त राष्‍ट्र में तालिबानी राजदूत को मान्‍यता मिल पाती। इससे अब तालिबानी सरकार को एक बार फिर से इस वैश्विक निकाय से निराशा हाथ लगी है। वहीं तालिबान को इस बार पाकिस्‍तान की सरकार से भी झटका लगा है जो वैश्विक मंचों पर अफगान सरकार के प्रवक्‍ता के रूप में काम करती थी। माना जा रहा है कि टीटीपी को लेकर चल रही तल्‍खी की वजह से पाकिस्‍तान ने तालिबान से अपने हाथ खींच लिए हैं।
तालिबानी आतंकी अगस्‍त 2021 में अशरफ गनी सरकार को सत्‍ता से हटाकर खुद अफगानिस्‍तान में काबिज हो गए थे। इसके बाद से वे प्रयास कर रहे हैं कि किसी तरह से दुनिया से उन्‍हें मान्‍यता मिल जाए। इसी वजह से वे संयुक्‍त राष्‍ट्र में अपना राजदूत तैनात करना चाहते हैं लेकिन उन्‍हें अब तीसरी बार निराशा हाथ लगी है। तालिबान सरकार ने सुहैल शाहीन को संयुक्‍त राष्‍ट्र में अपना राजदूत नियुक्‍त किया है जो पहले उसके कतर कार्यालय के प्रवक्‍ता रह चुके हैं। संयुक्‍त राष्‍ट्र के पैनल ने तालिबान के इस ताजा अनुरोध को भी खारिज कर दिया है।
तालिबान को बड़ा झटका क्‍यों? – इस समिति में संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद के तीन स्‍थायी सदस्‍य देश रूस, चीन और अमेरिका के प्रतिनिधि शामिल थे। गुरुवार को न्यूयार्क में समिति की बैठक हुई और इसमें फैसला किया गया कि तालिबानी प्रतिनिधि को स्‍वीकृति नहीं दी जाए। उन्‍होंने इसका हवाला द‍िया की अफगानिस्‍तान की अंतरिम सरकार को अभी दुनियाभर से मान्‍यता नहीं मिली है। संयुक्‍त राष्‍ट्र के इस कदम को तालिबान सरकार के लिए बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है जो लगातार प्रयास कर रही है कि किसी तरह से वैश्विक मान्‍यता को हासिल किया जाए।
संयुक्‍त राष्‍ट्र के इस फैसले के बाद अब यह तय हो गया है कि नासिर अमाद फैक ही संयुक्‍त राष्‍ट्र में अफगानिस्‍तान का प्रतिनिधित्‍व करते रहेंगे जिनकी नियुक्ति अशरफ गनी सरकार ने की थी। संयुक्‍त राष्‍ट्र ने जोर देकर कहा है कि तालिबान को तभी मान्‍यता मिलेगी जब वह महिलाओं को अधिकार देगा, समावेशी सरकार बनाएगा और वैश्विक जिम्‍मेदारियों का पालन करेगा। तालिबान को अपनी इस पहल में चीन का भी साथ नहीं मिला जिसके साथ वह इन दिनों बहुत तेजी से अपने रिश्‍ते मजबूत कर रहा है।
तालिबान और पाकिस्‍तान के बीच तनाव – इस बीच पाकिस्‍तान जो पहले चाहता था कि तालिबान को संयुक्‍त राष्‍ट्र में सीट मिले, अब उसने भी हाथ खींच लिए हैं। पाकिस्‍तान ने कहा है कि वह रिश्‍तों की ताजा हालत को देखते हुए तालिबानी राजदूत को मान्‍यता देने को सपोर्ट नहीं करेगा। तालिबान और पाकिस्‍तान के बीच टीटीपी आतंकियों को लेकर हालात बहुत तनावपूर्ण हो गए हैं।