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इजरायल की मोसाद या कोई और… ईरान में 103 लोगों की मौत से पूरे इलाके में युद्ध भड़कने का पैदा हुआ खतरा


ईरान के केरमन शहर में बुधवार को हुए दो बम धमाकों में 101 लोग मारे गए हैं। यह धमाका तब हुआ जब ईरान की रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के पूर्व जनरल कासिम सुलेमानी की चौथी बरसी पर लोग उनकी कब्र के पास जमा हुए थे। इस धमाके के लिए अमेरिका ने इस्लामिक स्टेट या दूसरे कट्टर सुन्नी विचारधारा के संगठनों की ओर उंगली उठाई हैं। वहीं ईरान ने इजरायल पर इस भयावह हमले का आरोप लगाया है। इस धमाके ने पूरे पश्चिम एशिया में युद्ध के बादल मंडरा दिए हैं लेकिन अभी भी स्पष्ट नहीं है कि दक्षिण-पूर्वी ईरानी शहर करमान में भीड़ पर दोहरे बम विस्फोट के लिए कौन जिम्मेदार है।
गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका इशारा कर रहा है कि इस हमले के पीछे इस्लामिक स्टेट या उससे संबद्ध सुन्नी समूह हैं। अमेरिका और ब्रिटेन के अधिकारियों के उलट ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने इजरायल पर सीधा आरोप लगाते हुए चेतावनी दी कि उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी लेकिन रायसी ने तत्काल कार्रवाई की बात नहीं की। इजरायल की बात करें तो उसने ईरान के साथ सीधे संघर्ष में उलझना नहीं चाहा है। उसकी लेबनान में हिजबुल्लाह और यमन में हूती विद्रोहियों से झड़पें होती रही हैं लेकिन वह सीधे ईरान से लड़ने को उत्सुक नहीं दिखा है।
ईरान के हमले के पीछे कौन? – ईरान समर्थित हूतियों के हमलों को हाल के दिनों में अमेरिका ने नाकाम कर दिया है। लेबनान सीमा को भी इजरायल ने काफी हद तक कंट्रोल में रखा हुआ है। इस बीच यह जानना भी असंभव है कि 7 अक्टूबर को दक्षिणी इजरायल में हमास के हमले के बाद से बढ़ती घटनाओं से ईरान पर क्या असर हो रहा है। 25 दिसंबर को दमिश्क पर इजरायली हवाई हमले में रिवोल्यूशनरी गार्ड्स का एक वरिष्ठ कमांडर मारा गया था। इशके बाद मंगलवार को बेरूत पर इजरायली ड्रोन हमले में हमास के उप राजनीतिक नेता, सालेह अल-अरौरी की मौत हो गई थी। हिज्बुल्ला ने इसका बदला लेने की कसम खाई है। दूसरी ओर वाशिंगटन में राजनयिकों ने कहा कि वाशिंगटन में लेबनानी दूतावास ने बाइडेन प्रशासन को आश्वासन दिया है कि बड़े पैमाने पर हिज्बुल्ला प्रतिरोध नहीं दिखाएगा।