
मालदीव में मोहम्मद मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के बाद भारत के साथ उसके संबंध अब रसातल में पहुंचते दिखाई दे रहे हैं। मोहम्मद मोइज्जू ‘इंडिया आउट’ कैंपेन चलाकर सत्ता में आए हैं और आते ही उन्होंने भारत के साथ सभी समझौतों को तोड़ना शुरू कर दिया है। मालदीव के राष्ट्रपति ने कहा है कि भारत अपने सैनिकों को माले से हटाए ताकि उनके देश में लोकतंत्र की रक्षा की जा सके। मालदीव के राष्ट्रपति ने जब भारत के खिलाफ जहर उगला, ठीक उसी समय पीएम नरेंद्र मोदी ने मालदीव से सटे भारत के लक्षद्वीप से अद्भुत तस्वीरें शेयर कर मोइज्जू को कड़ा संदेश दे दिया। विशेषज्ञों का कहना है कि पीएम मोदी का मालदीव को अब साफ संदेश है कि भारत को उसकी जरूरत नहीं है। आइए समझते हैं पूरा मामला…
मालदीव के राष्ट्रपति ने अपनी चीन यात्रा से ठीक पहले यह भी कहा है कि अगर भारत अपने सैनिकों को मालदीव से नहीं हटाता है तो देश के जनता की ‘लोकतांत्रिक इच्छा’ का असम्मान होगा और लोकतंत्र के भविष्य को संकट में डाल देगा। अब तक मालदीव में नया राष्ट्रपति बनने के बाद वहां के नेता सबसे पहले भारत का दौरा करते रहे हैं। मोइज्जू ने इसको बदलते हुए तुर्की की यात्रा की और अब वह चीन जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत मालदीव के जनता की इच्छा सम्मान करे। उन्होंने कहा कि बिना संसदीय मंजूरी के विदेशी सेनाओं की मौजूदगी मालदीव के संविधान का उल्लंघन है। मोइज्जू ने यह भी दावा किया कि भारत मालदीव के सबसे करीबी दोस्तों में शामिल है।
भारत से अहम रक्षा समझौता तोड़ा – मोइज्जू एक तरफ भारत को सबसे करीबी दोस्त बता रहे हैं, वहीं चीन के इशारे पर उन्होंने भारत के साथ होने वाले हाइड्रोग्राफिक सर्वे के समझौते को खत्म कर दिया है। माना जा रहा है कि मोइज्जू अब चीन के साथ ऐसे समझौते पर आगे बढ़ सकते हैं। इस समझौते साल 2019 में पीएम मोदी की यात्रा के दौरान किया गया था और इसे भारत और मालदीव के बीच रक्षा समझौतों का प्रतीक माना जाता था। मालदीव के इस भारत विरोधी रुख के बाद अब मोदी सरकार ने भी कमर कसनी शुरू कर दी है। पीएम मोदी के रणनीतिक रूप से बेहद अहम लक्षद्वीप से तस्वीरों के जारी करने और पर्यटकों से आने की अपील को कई विशेषज्ञ मालदीव से जोड़कर देख रहे हैं।
दरअसल, मालदीव के समुद्री तट अपनी सुंदरता के लिए पूरी दुनिया में बहुत प्रसिद्ध हैं। ये मालदीव की कमाई का प्रमुख स्रोत है। साल 2018 में भारत मालदीव के लिए पर्यटकों के स्रोत के मामले में 5वां सबसे बड़ा स्रोत था। साल 2019 में भारत दूसरे स्थान पर पहुंच गया। भारत से कुल 1,66,030 पर्यटक मालदीव पहुंचे। कोरोना काल में भी भारत के 63 हजार पर्यटक मालदीव पहुंचे जो सबसे ज्यादा थे। साल 2021 और साल 2022 में भी भारत 2.91 लाख और 2.41 लाख पर्यटकों के साथ शीर्ष पर बना रहा। साल 2023 में भी जून तक 1 लाख लोग मालदीव पहुंच चुके थे।
भारतीय पर्यटकों पर निर्भर है मालदीव – भारत का लक्षद्वीप ठीक उसी तरह के खूबसूरत समुद्री तटों के लिए जाना जाता है। हालांकि कई तरह के यात्रा प्रतिबंधों और पर्यटकों के लिए जरूरी सुविधाओं की कमी की वजह से पर्यटक कम जाते हैं। अब पीएम मोदी ने खुद ही लक्षद्वीप को बढ़ावा देने की कमान संभाल ली है। बताया जा रहा है कि लक्षद्वीप के लिए जल्द ही कनेक्टविटी को सुधारा जाएगा और कई होटल भी खोले जाएंगे। इससे भारत पर्यटकों को मालदीव जैसी प्राकृतिक सुंदरता भारत में भी देखने को मिलेगी। यह मालदीव के लिए बड़े झटके की तरह से होगा जिसकी अर्थव्यवस्था पर्यटन पर काफी हद तक निर्भर है।
Home / News / चीन के ‘गुलाम’ मुइज्जू को भारी पड़ेगी भारत से दुश्मनी, जानें क्यों मोदी के ‘लक्षद्वीप प्लान’ से सहम उठेगा मालदीव
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