बीजिंग: मिसाइलों और ड्रोन की बारिश के बाद पाकिस्तान और ईरान के बीच अब ‘शांति’ हो गई है। पाकिस्तान ने कहा है कि वह अपने राजदूत को फिर से तेहरान भेज रहा है। वहीं ईरान ने भी कहा है कि वह शांति चाहता है। युद्ध के मोहाने पर पहुंचे ईरान और पाकिस्तान के बीच यूं ही नहीं शांति हुई। माना जा रहा है कि इसमें तुर्की के अलावा चीन ने बड़ी भूमिका निभाई जो इस क्षेत्र में जंग जैसे हालात से घबरा गया था। दरअसल, चीन का पाकिस्तान में अरबों डॉलर निवेश है जो उसने सीपीईसी में किया हुआ है। चीन ने पाकिस्तान को फाइटर जेट से लेकर रॉकेट तक दिए हैं। वहीं चीन खाड़ी में अमेरिका का प्रभाव खत्म करने के लिए ईरान और पाकिस्तान का इस्तेमाल कर रहा है। चीन ने ईरान के साथ अरबों डॉलर की तेल और अन्य डील की है।
ईरान चीन को तेल की आपूर्ति करने वाला प्रमुख देश है। चीन पूरे इलाके में खुद को मध्यस्थ के रूप में विकसित कर रहा है। चीन ने ही सऊदी अरब और ईरान के बीच शांति कराया था। इस तनाव के बाद चीन ने मध्यस्थता का प्रस्ताव दिया था। दरअसल, चीन अपने हित के लिए पूरे इलाके में क्षेत्रीय भूराजनीति को बदलना चाहता है। अमेरिकी शोध संस्थान के विशेषज्ञ समीर लालवानी का कहना है कि चीन ईरान और पाकिस्तान दोनों में ही बहुत प्रभाव रखता है। ईरान और पाकिस्तान दोनों ही यह अपेक्षा करते हैं कि तेजी से आगे बढ़ता चीन आने वाले दशकों में एशिया में राज करेगा। यही नहीं चीन के पास ऐसी विश्सनीयता है कि दोनों ही देशों के नेताओं को रिश्ते सामान्य करने के लिए मना सकता है।
पाकिस्तान और चीन में गहरी दोस्ती – पाकिस्तान चीन का सबसे करीबी दोस्त है और दोनों देशों के बीच रिश्ते ‘समुद्र से गहरे, पहाड़ों से ऊंचे, शहद से मीठे और स्टील से मजबूत’ होने का दावा किया जाता है। चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना “बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव” में पाकिस्तान भी सीपीईसी के जरिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। चीन ग्वादर में पोर्ट बना रहा है जो ईरान के काफी करीब है। ईरान के साथ भी चीन के व्यापारिक रिश्ते बढ़े हैं, हालांकि कई प्रतिबंधों के कारण दोनों देशों का व्यापक सहयोग करार अभी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है।
चीन ईरान का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है और ईरानी तेल का सबसे बड़ा खरीददार है। पिछले साल चीन की कंपनियों ने 10 साल में सबसे ज्यादा ईरानी तेल खरीदा था। अमेरिकी विशेषज्ञ समीर लालवानी का कहना है कि ईरान और पाकिस्तान दोनों ही चीन से आर्थिक और रणनीतिक मदद पाने के लिए एक-दूसरे के साथ होड़ कर सकते हैं। इस हफ्ते ईरान और पाकिस्तान के बीच सीमा पर मिसाइलों की बारिश हुई, जो आश्चर्यजनक है क्योंकि वे अक्सर एक-दूसरे पर आरोप लगाते हैं कि पड़ोसी देश की ज़मीन से आतंकवादी घुसपैठ करते हैं। पाकिस्तान के अलावा ईरानी सेनाएं भी चीन से हथियार खरीदती हैं।
ईरान को सैन्य मदद देता है चीन – अमेरिकी रिसर्च संस्थान रैंड कार्पोरेशन का कहना है कि चीन ने ईरान की सैन्य ताकत बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है और यहां तक कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम के लिए तकनीकी मदद भी दी है। चीन पाकिस्तान को हथियार देता है, खासकर हमले करने वाले अत्याधुनिक हथियार। पाकिस्तान और चीन दोनों देश साथ में सैन्य अभ्यास भी करते हैं। पिछले नवंबर में कराची बंदरगाह के पास चीन और पाकिस्तान ने अब तक का सबसे बड़ा नौसैनिक अभ्यास किया था।
चीन के जिलिन विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर बजोर्न अलेक्जेंडर डूबेन का कहना है कि दोनों देशों के बीच सैन्य रिश्ते काफी मजबूत हुए हैं। डूबेन का कहना है कि चीन अपनी मध्यस्थता की कोशिशों से भी अपना मामला मजबूत कर सकता है। पिछले साल चीन ने ईरान और उसके धुर विरोधी सऊदी अरब के बीच रिश्ते सुधारने में मदद की थी।
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