चीन ने अपनी इस आलोचना को खारिज कर दिया है कि वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का विरोधी है और सुधारों के खिलाफ है। चीन ने कहा है कि वह गंभीर और गहन विचार-विमर्श के माध्यम से पूरा समाधान निकालने के लिए व्यापक संभावित सहमति की आवश्यकता पर जोर देता है। चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा है कि दुनिया को उम्मीद है संयुक्त राष्ट्र वैश्विक चुनौतियों से निपटने में प्रभावी ढंग से अग्रणी भूमिका निभाएगा। चीन विकासशील देशों की आवाज के साथ यूएनएससी सुधार की सही दिशा में निरंतर प्रगति का समर्थन करता है।
वांग यी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र के यूएनएससी सुधार पर अंतर सरकारी वार्ता के सह-अध्यक्ष तारेक एमएएम अल्बानाई और अलेक्जेंडर मार्शचिक के साथ एक बैठक के दौरान ये बात कही है। वांग की यह टिप्पणी भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के उस सुझाव के एक सप्ताह बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों का अदूरदर्शी दृष्टिकोण वैश्विक निकाय में सुधारों को रोक रहा है। उन्होंने चीन की ओर इशारा करते हुए कहा था कि यूएनएससी में सुधार का सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी कोई पश्चिमी देश नहीं था। चीन पर जयशंकर के इस हमले के बाद अब उसकी ओर से ये प्रतिक्रिया आई है।
हम सुधारों के खिलाफ नहीं: चीन – चीनी विदेश मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, वांग ने कहा कि चीन सही दिशा में यूएनएससी सुधार की निरंतर प्रगति का समर्थन करता है। इस आलोचना के बारे में पूछे जाने पर कि बीजिंग संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष निकाय में सुधार को रोक रहा है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा, यूएनएससी का सुधार संयुक्त राष्ट्र के समग्र सुधार का एक अभिन्न अंग है। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की एकजुटता और सहयोग को कायम रखना प्राथमिकता होनी चाहिए। सदस्य देशों को गंभीर और गहन परामर्श के माध्यम से समाधान के लिए व्यापक संभव सहमति बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सुधार से कुछ लोगों के स्वार्थों की पूर्ति के बजाय सभी सदस्य देशों को लाभ होना चाहिए। हालांकि उन्होंने इस बात का सीधा जवाब नहीं दिया कि क्या चीन यूएनएससी में विशेष रूप से स्थायी सदस्य के रूप में भारत की एंट्री को रोक रहा है।
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