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भारत ने एमआईआरवी से लैस अग्नि-5 मिसाइल का सफल टेस्ट कर दिखाया दम, पाकिस्तान हो गया था फेल, जानें


मिसाइल की लॉन्चिंग सिस्टम में कैनिस्टर तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इस मिसाइल को कहीं भी आसानी से ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है। ये इस्तेमाल में भी पुरानी मिसाइलों के मुकाबले आसान है, इस वजह से देश में कहीं ले जाकर आसानी से इसकी तैनाती की जा सकती है।
भारत ने मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल तकनीक के साथ घरेलू स्तर पर विकसित अग्नि-V मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। इसे मिशन दिव्यास्त्र नाम दिया गया और ये परीक्षण ओडिशा स्थित डॉ एपीजे अब्दुल कलाम आईलैंड पर किया गया। भारत के लिए ये परीक्षण एक अहम सफलता है। वहीं भारत से हथियारों की होड़ करने की कोशिश करते दिखने वाला पाकिस्तान तीन साल पहले इसी तरह की मिसाइल के टेस्ट में फेल हो चुका है। पाकिस्तान ने 2.750 किमी शाहीन III मिसाइल का उपयोग करके मल्टीपल इंडिपेंडेंट टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (एमआईआरवी) तकनीक विकसित करने का प्रयास किया था, जिसमें वारहेड दो किलोमीटर की दूरी तक जमीन पर मार करता था। डीआरडीओ के शीर्ष अधिकारियों के अनुसार इसके टेस्ट में पाकिस्तान पूरी तरह से फेल रहा।
पाकिस्तान और चीन अग्नि-5 परीक्षण का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिए करेंगे कि इस्लामाबाद भारत के साथ विखंडनीय सामग्री कट-ऑफ संधि (एफएमसीटी) पर हस्ताक्षर न करे। हालांकि अग्नि-5 एमआईआरवी विस्तारवादी चीन को रोकने में भी मददगार होगी, जो 1950 में क्रूर बल का उपयोग करके तिब्बत पर सैन्य कब्जा करने के बाद कुछ भारतीय क्षेत्रों पर भी नजर जमाए हुए है। भारत की ओर से 7 मार्च परीक्षण के लिए एनओटीओएम जारी करने के बाद चीनी सेना ने 7-8 मार्च की रात को मलक्का जलडमरूमध्य को पार करने के साथ अग्नि वी परीक्षण की निगरानी के लिए अपने दो जासूसी जहाजों को तैनात किया था।
क्यों खास है अग्नि-5 मिसाइल – सोमवार शाम को भारत ने तीन एमआईआरवी के साथ अग्नि-V मिसाइल का 3000 किमी से अधिक दूरी तक परीक्षण किया। इस मिसाइल की मारक क्षमता 5000 किमी है। यह एमआईआरवी यानी मल्टिपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल री-एंट्री व्हीकल टेक्नोलॉजी से लैस है। इसे एक साथ कई टारगेट्स पर लॉन्च किया जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस कामयाबी पर डीआरडीओ के वैज्ञानिकों को बधाई दी है।