साक्षात्कार : अलोक गुप्ता
राम माधव जी, एक उदार राष्ट्रवादी और भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के सदस्य, भारत सरकार में सक्रिय रूप से योजना, सृजन और विदेश नीति के क्षेत्र में कार्यरत हैं। वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आर.एस.एस.) के संघचालक भी रहे हैं, जिनके माध्यम से उन्होंने अपने राष्ट्रभक्ति और समर्पण की भावना को जन-जन तक पहुंचाया है। उनका योगदान भारतीय राजनीति में भारत को सशक्त और सुरक्षित भविष्य की दिशा में जाने के संदर्भ में बहुत महत्वपूर्ण है, वह राष्ट्रीय और सांस्कृतिक मुद्दों पर अपने दृढ़ विचारों की अभिव्यक्ति के लिए जाने जाते हैं। राम माधव जी, हाल ही मैं न्यूजीलैंड प्रवास पर थे, Indianz X-PRESS अखबार के संपादक आलोक गुप्ता से उनकी बातचीत के प्रमुख अंश –
प्रश्न- आपकी न्यूजीलैंड यात्रा का क्या प्रयोजन है ?
उत्तर- हाल के वर्षों में भारत के ऑस्ट्रेलिया के साथ संबंध बहुत ही प्रगाड़ हुए हैं | जिसके चलते पिछले दिनों पर्थ, ऑस्ट्रेलिया में एक बहुत बड़ी दो दिवसीय विदेश मंत्रियों की इंडियन ओशन कांफ्रेंस हुई | इस कांफ्रेंस में इंडियन ओशन के देशों के 20 विदेश मंत्रियों ने भाग लिया| इस कांफ्रेंस को हम पिछले 7 वर्षों से आयोजित कर रहे हैं | अब तक इस कांफ्रेंस का आयोजन हम हमेशा भारत में करते थे, लेकिन इस बार ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने आग्रह किया कि वे इसे अपने देश में आयोजित करना चाहते हैं | जिसकी वजह से मैं ऑस्ट्रेलिया आया हुआ था | तो मुझे लगा कि, मुझे न्यूजीलैंड भी आना चाहिए | न्यूजीलैंड में मैं अपने प्रवास के दौरान, न सिर्फ प्रवासी भारतीयों के साथ ज्यादा से ज्यादा समय गुजरने का प्रयास करूंगा और भारत के प्रति उनकी भावनाएं और उनके बढ़ते उत्साह को साझा करूंगा| साथ ही यहाँ के राजनैतिक और बौद्धिक वर्ग, और शिक्षा संस्थाओं से विचार विमर्श करने का भी प्रयास रहेगा | मेरा मानना है कि जिस तरह से भारत और ऑस्ट्रेलिया के संबंध बहुत करीब के हुए हैं इसी तरह से इंडो पेसिफिक रीजन में स्थित एक बहुत महत्वपूर्ण देश न्यूजीलैंड के साथ भी हमारे संबंध और प्रगाढ़ होने चाहिए , और यही मेरे यात्रा का उद्देश्य है |
प्रश्न- आपकी पार्टी “भारतीय जनता पार्टी” और “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ” ने भारत का बहुत गौरव बढ़ाया है | जिसे हम सब विदेश में रह रहे भारतीय भी हर पल महसूस करते हैं आपके मापदंडों पर आप इसे अपनी कितनी बड़ी सफलता मानते हैं|
उत्तर- भारत की विदेश नीति की पिछले 10 वर्षों में कई सारी सफलताएं हमने प्रामाणिक रूप से अनुभव की हैं| मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद हमने इस पर चौतरफा प्रयास किया है | सबसे पहला यह की भारत का विदेश में सम्मान और गौरव बढ़ना चाहिए | हमारा दूसरा प्रयास था कि विदेश में रह रहे न सिर्फ भारतीय, विदेशी सरकारें या व्यापार बल्कि वहां के स्थानीय समुदाय के साथ भी हमारा संवाद होना चाहिए, ताकि उनके भी मन में भारत के प्रति एक सकारात्मक नजरिया उत्पन्न हो सके |
गत 10 वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में दुनिया के अधिकतम प्रमुख देश के साथ अब हमारे काफी घनिष्ठ संबंध है | अब हमारी राय को दुनिया के प्रमुख सभी देश गंभीरता से लेते हैं| मोदी जी के दुनिया के कई सारे राष्ट्रध्यक्षों के साथ बहुत ही आत्मीय और निकट के संबंध हैं| भारत ने दुनिया के बहुत सारे के देशों के साथ फ्री-ट्रेड एग्रीमेंट्स साइन किए हैं और इस तरह के कई सारे समझौते पाइपलाइन में भी हैं | हम अब विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुके हैं, और आने वाले वर्षों में हम तीसरा स्थान हासिल कर पाने में सक्षम है | भारत की विदेश नीति का इस चौतरफा विकास में बहुत महत्वपूर्ण योगदान है |
प्रश्न – भारत सरकार का न्यूजीलैंड को लेकर क्या नजरिया है ?
उत्तर- भारत सरकार के नजरिए से न्यूजीलैंड इंडो पेसिफिक रीजन का एक बहुत महत्वपूर्ण एवं सम्मानित देश है | इस संदर्भ में मुझे लगता है कि भारत सरकार निश्चित तौर पर न्यूजीलैंड के साथ और घनिष्ठ संबंध बनाने की चाह रखती है | हमें न्यूजीलैंड सरकार की ओर से भी इस ओर बहुत अच्छे संकेत मिल रहे हैं | चर्चा में है कि शीघ्र ही न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री भारत आने की योजना बना रहे हैं | लेकिन हमारी अप्रवासी भारतीयों से यह भी अपेक्षा है कि न्यूजीलैंड में आप सब अपने-अपने क्षेत्र में तो महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभा ही रहें हैं लेकिन उसके साथ-साथ यहाँ के सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में भी वह आगे बढ़ चढ़ कर भाग ले, जिससे भारत और भारतीयों के प्रति यहाँ के लोगों का भाव और सकारात्मक हो सके|
प्रश्न- मंदिर पुनर्निर्माण ने समूचे भारत राष्ट्र को और विदेशों में रह रहे भारतीयों को एक सूत्र में पिरोने का काम किया है | आपकी एक सामान्य भारतीय होने के नाते इस घटना पर क्या प्रतिक्रिया है ?
उत्तर- राम मंदिर आंदोलन और इसके पुनर्निर्माण की यात्रा न सिर्फ कई शताब्दियों का इतिहास लिए हुए हैं वरन् यह एक असाधारण और ऐतिहासिक अनुभव है| मैं इस आंदोलन से 40 वर्षों से जुड़ा हुआ था | 1990 के दौरान इस आंदोलन ने कई प्राणों की आहुति भी ली | इस लंबे आंदोलन में कई उतार-चढ़ाव और पढ़ाव भी आए | लेकिन इस आंदोलन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसका निराकरण बहुत ही शांतिपूर्ण तरीके से अदालत के निर्णय के आधार पर हुआ जिसका कि सभी ने सम्मान किया |
इसी संदर्भ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखिया श्री मोहन भागवत जी का अदालत के फैसले के उपरांत सिर्फ एक ही बयान आया कि अदालत के इस निर्णय को किसी की हार या जीत की तरह ना देखा जाए बाल्की इसे एक बहुप्रतीक्षित, सही ओर प्रामाणिक फैसले के रूप स्वीकार किया जाए | इसीलिए राम मंदिर निर्माण और उसके उद्घाटन समारोह ने समूचे राष्ट्र और भारतवासियों को एक सूत्र में पिरो दिया जो कि अपने आप में राम-राज्य की स्थापना के लिए एक महत्वपूर्ण शुरुआत है|
प्रश्न- आपकी राम-राज्य को लेकर क्या परिकल्पना है ?
उत्तर- गांधी जी की रामराज्य को लेकर परिकल्पना ही हमारे लिए भी इसे साकार करने की प्रेरणा है| गांधी जी का कहना था कि, उनके राम राज्य में ‘समाज में अंतिम खड़े हुए मनुष्य के पास भी उतने ही अधिकार हों जितने कि समाज के सबसे शक्तिशाली इंसान के पास हैं | तात्पर्य यह है कि उस अंतिम व्यक्ति के पास भी उतना ही आत्म सम्मान हो जितना की एक प्रभावशाली व्यक्ति के पास होता है | तो हमें उस प्रकार का भारत बनाना है जहां कमजोर वर्ग का व्यक्ति भी पूरे स्वाभिमान के साथ अपना जीवन यापन कर सके | आज मोदी जी के नेतृत्व में हम सब मिलकर इसी तरह का भारत बनाने का प्रयास कर रहें हैं, और राम मंदिर उसी का प्रतीक है|
प्रश्न- भारत के सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और धार्मिक पुनर्गठन के वर्तमान आंदोलन की आप एक मुख्य कड़ी हैं, इस संदर्भ में आपकी भारत के विश्व-गुरु बनने की क्या कल्पना है?
उत्तर – देखिए हम अपने आप को विश्व गुरु घोषित नहीं करेंगे, एक समय आएगा जब दुनिया हमको विश्व- गुरु स्वीकार करेगी | हमारा प्रयास यह है कि हम अपने अंदर, एक राष्ट्र के रूप में विश्व-गुरु बनने की क्षमता उत्पन्न करें | उसका पहला कदम हमारे लिए यह होगा कि हम विश्व-मित्र बनने का प्रयास करें| हम चहते है कि एक समय ऐसा आए जब दुनिया के तमाम देश और समाज हमें अपना मित्र महसूस करें | हम एक ऐसे भारत के निर्माण की ओर अग्रसर हैं, जिसे देख दुनिया हमारे प्रति एक मित्र की तरह सद्भावना रखे और प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में हमारे कदम उस ओर सफलतापूर्वक बढ़ रहे हैं|
एक बार जब हम जब दुनिया के साथ सद्भावना और मैत्री कायम करने में सफल हो जाएंगे तो हम स्वयं ही विश्व-गुरु की श्रेणी में आ जाएंगे| इसीलिए मोदी जी ने 1947 तक का लक्ष्य रखा है जब भारत सामाजिक, सांस्कृतिक, और आर्थिक रूप से विकसित हो जाएगा तो स्वतः ही विश्व-गुरु कहलाया जाने लगेगा|
प्रश्न – न्यूजीलैंड में रह रहे अप्रवासीय भारतीयों को आपका क्या संदेश है?
उत्तर- जो प्रगति आप आज भारत के हर क्षेत्र में देख रहे हैं, वैसी हमें 1947 में मिली आजादी के बाद से मिलनी चाहिए थी | लेकिन जैसी कि कहावत है, “बेटर लेट देने एवर”, देर से ही सही आज तो हम प्रगति के पथ पर हैं | देश में एक अच्छा परिवर्तन हो रहा है, आप सब उसे देख रहे हैं, मेरा आप सब से आग्रह कि कि आप इस परिवर्तन को अच्छी तरह से समझे, हर हाल में एकता को बनाए रखें और हर समय ध्यान रखें कि हमें देश का सम्मान बनाए रखना है, और हर संभव तरीके से भारत की प्रगति में योगदान देते रहना है।