
ईरान में मार्च में हुए मतदान में कट्टरपंथी नेताओं का प्रभुत्व सामने आने के बाद देश की जनता ने संसद की शेष सीटों के लिए शुक्रवार को मतदान किया। देश भर के 22 निर्वाचन क्षेत्रों में लोग 90 उम्मीदवारों में से 45 प्रतिनिधियों का चुनाव करेंगे, जिनमें से 15 को नरमपंथी माना जाता है। राजधानी तेहरान में 32 उम्मीदवारों में से 16 प्रतिनिधि चुने जाएंगे, जो सभी कट्टरपंथी हैं। अंतिम नतीजे सोमवार को आने की उम्मीद है, हालांकि छोटे निर्वाचन क्षेत्रों में गिनती उससे पहले होने की संभावना है। ईरान की संसद देश पर शासन करने में गौण भूमिका निभाती है। देश के सभी महत्वपूर्ण मामलों में सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई अंतिम निर्णय लेते हैं।
शुक्रवार को मतदान शुरू होने के तुरंत बाद वहां के सरकारी टीवी पर खामेनेई को मतदान करते हुए दिखाया गया। उन्होंने लोगों से मतदान करने का आग्रह किया और कहा कि दूसरे दौर का चुनाव भी मुख्य चुनाव जितना ही महत्वपूर्ण है। मार्च में हुए चुनाव में कट्टरपंथियों ने 245 में से 200 सीट जीतीं, जबकि अधिक उदारवादी उम्मीदवारों ने अन्य 45 सीट पर जीत हासिल की। कुल ढाई करोड़ मतपत्र डाले गए और 41 प्रतिशत से कम मतदान हुआ। पिछला सबसे कम मतदान 2020 के संसदीय चुनाव में हुआ था, तब 42 प्रतिशत लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। देश की सरकार में बदलाव का आह्वान करने वाले नेताओं को आम तौर पर चुनाव में भाग लेने से रोक दिया गया था। इन नेताओं को सुधारवादी माना जाता है। कट्टरपंथी सुधारों या ईरान की धार्मिक व्यवस्था को छोड़ने का आह्वान करने वालों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया या उन्हें उम्मीदवार के रूप में पंजीकृत ही नहीं किया गया।
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