
तेल अवीव: यूरोप के तीन देशों नार्वे, स्पेन और आयरलैंड ने फिलिस्तीन को एक देश के रूप में मान्यता देने के फैसले की जानकारी दी तो मध्य पूर्व में हलचल मच गई। फिलिस्तीन को अलग-थलग करने की कोशिश में लगे इजरायल के लिए ये एक बड़े झटके की तरह था। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के लिए ये निजी हार की तरह है, जो इजरायल फिलिस्तीन विवाद के द्वि-राष्ट्र समाधान के कट्टर विरोधी रहे हैं। नेतन्याहू का गुस्सा उनके बयानों में भी नजर आया। उन्होंने कहा कि ये आतंकवादियों को इनाम देने जैसा है। उन्होंने कहा कि ‘आतंकवाद को इनाम देने से शांति नहीं आएगी।’ फैसले के विरोध स्वरूप इजरायल ने तीनों देशों से अपने राजदूतों को तत्काल वापस बुलाने का आदेश जारी कर दिया। ये बताता है कि इजरायल के लिए ये कितना महत्वपूर्ण है। आइए समझते हैं कि इन यूरोपीय देशों के मान्यता देने से फिलिस्तीन की मुहिम पर क्या असर पड़ेगा और यह फैसला कितना महत्वपूर्ण है।
EU के कितने देशों से मान्यता? – 27 देशों वाले यूरोपीय संघ के 7 सदस्य आधिकारिक तौर पर फिलस्तीन को मान्यता देते हैं। इनमें से पांच वे हैं जिन्होंने ब्लॉक में शामिल होने से पहले 1988 में मान्यता की घोषणा की थी, जैसा कि साइप्रस ने किया था। स्वीडन ने 2014 में मान्यता दी थी। चेक गणराज्य का कहना है कि पूर्व चेकोस्लोवाकिया की 1988 की मान्यता आधुनिक राज्य पर लागू नहीं होती है। स्लोवाकिया ने अब तक यह नहीं बताया है कि उसकी मान्यता का हिस्सा अभी भी कायम है या नहीं। माल्टा और स्लोवेनिया का कहना है कि वे भी इसका अनुसरण कर सकते हैं। अब मान्यता क्यों?
Home / News / नार्वे, स्पेन और आयरलैंड ने दी मान्यता, फिलिस्तीन के स्वतंत्र देश बनने के लिए कितना बड़ा है ये फैसला, जानें
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