बीजिंग और वाशिंगटन के बीच बीते कुछ समय में सैन्य और राजनयिक संपर्क बेहतर हुए हैं लेकिन दोनों के बीच रस्सकशी भी किसी से छुपी नहीं है। जासूसी के बारे में खुलासों से दोनों तरफ की जनता के बीच अविश्वास और आशंका बढ़ने का खतरा है, जो संकट में युद्धाभ्यास की गुंजाइश को सीमित कर सकता है।
पश्चिम के देशों ने चीन की जासूसी का बढ़ते खतरे पर चिंता जताई है। ऐसा इसलिए क्योंकि चीन के विशाल जासूसी नेटवर्क से पार पाने के लिए पश्चिम के देश संघर्ष करते दिख रहे हैं। बीते कई सालों से पश्चिमी जासूसी एजेंसियां चीन पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर जोर दे रही हैं। इस सप्ताह भी ब्रिटेन की जीसीएचक्यू खुफिया एजेंसी के चीफ ने इसे एक गंभीर और बड़ी चुनौती माना है। ब्रिटेन की ओर से ये ऐसे समय कहा गया है, जब चीन के लिए जासूसी और हैकिंग के आरोप में पश्चिम के कई देशों में एक के बाद एक गिरफ्तारियां हुई हैं। इस हफ्ते ही तीन लोगों पर हांगकांग की खुफिया सेवाओं की मदद का आरोप लगने के बाद ब्रिटेन के विदेश कार्यालय ने चीन के राजदूत को तलब किया गया था। ये पश्चिम और चीन के बीच प्रतिस्पर्धा के खुलकर सामने आने का संकेत हैं।
बीबीसी की रिपोर्ट कहती है कि वरिष्ठ अधिकारियों को चिंता है कि अमेरिका और पश्चिम के उसके सहयोगियों ने काफी समय तक चीन की चुनौती को बहुत गंभीरता से नहीं लिया लेकिन अब ये बीजिंग की जासूसी के प्रति अधिक संवेदनशील हुए हैं। पश्चिमी अधिकारियों की चिंता चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के दृढ़ संकल्प को लेकर है कि बीजिंग एक नई अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को आकार देगा। एमआई6 के प्रमुख सर रिचर्ड मूर ने चीन और पश्चिम पर बीबीसी की एक नई श्रृंखला के लिए साक्षात्कार में कहा कि चीन आखिरकार अमेरिका को दुनिया की प्रमुख शक्ति के रूप में विस्थापित करने की इच्छा रखता है लेकिन वर्षों तक चेतावनियां जारी करने के बावजूद पश्चिमी खुफिया सेवाएं चीनी गतिविधि पर अपना ध्यान केंद्रित करने के लिए संघर्ष करती रही हैं।
पश्चिम की चीन की ओर ध्यान हाल के रूस-यूक्रेन और अब इजरायल-हमास युद्ध के बाद तेजी से गया है। निगेल इंकस्टर कहते हैं कि चीनी खुफिया एजेंसी 2000 के दशक में ही औद्योगिक जासूसी में लगी हुई थी लेकिन पश्चिमी कंपनियां आम तौर पर चुप रहती थीं। वे इस डर से इसकी रिपोर्ट नहीं करना चाहते थे कि ऐसा करने से चीन के बाजारों में उनकी स्थिति खतरे में पड़ जाएगी। एक और बड़ी चुनौती यह रही है कि चीन पश्चिम से अलग ढंग से जासूसी करता है। इससे इसकी गतिविधि को पहचानना और सामना करना मुश्किल है।
एक पूर्व पश्चिमी जासूस का कहना है कि उसने एक बार अप्रत्याशित रूप से एक चीनी समकक्ष को बताया था कि चीन ने गलत प्रकार की जासूसी की है। उनके कहने का मतलब था कि पश्चिमी देश उस तरह की खुफिया जानकारी इकट्ठा करने पर ध्यान केंद्रित करना पसंद करते हैं जो उन्हें अपने विरोधियों को समझने में मदद करती है। चीनी जासूसों की प्राथमिकताएं अलग हैं। चीन के जासूस पश्चिमी तकनीक हासिल करने को सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा आवश्यकता के रूप में देखते हैं। ऑस्ट्रेलियाई सुरक्षा और खुफिया संगठन (एसियो) के प्रमुख माइक बर्गेस कहते हैं, ‘हमारी एजेंसी 74 साल के इतिहास में सबसे ज्यादा व्यस्त है। व्यावसायिक जासूसी एक बिल्कुल अलग मामला है और इसीलिए चीन को इस पर विशेष उपचार मिल रहा है। ये बात सही है कि पश्चिमी सहयोगी इस खतरे को समझने में धीमे रहे हैं। मुझे लगता है कि यह लंबे समय से चल रहा है और सामूहिक रूप से हम इससे चूक गए हैं।’
Home / News / चीन ने खड़ा किया दुनिया का सबसे बड़ा जासूसी नेटवर्क, 6 लाख जासूसों की फौज से अमेरिका के छूटे पसीने, एक्सपर्ट हैरान