ग्रीनलैंड की बर्फ में तबाही लाने वाले वायरस हैं। इसमें से एक विशाल वायरस खोजा गया है। वास्तव में वैज्ञानिक इस बात से हैरान है कि आखिर वास्तव में यह क्या है? बर्फ के पिघलने के साथ वैज्ञानिक निष्क्रिय पड़े शैवाल का निरीक्षण कर रहे हैं। उन्हें कुछ बहुत अप्रत्याशित मिला है। आरहस यूनिवर्सिटी के पर्यावरण विज्ञान विभाग के विशेषज्ञों ने एक ‘विशाल वायरस’ पाया है। सवाल उठता है कि क्या चीज इसे सामान्य आकार के वायरस के विपरीत एक विशाल वायरस बनाती है?
शोधकर्ता लॉरा पेरीनी के मुताबिक इसमें सामान्य वायरस की तुलना में बहुत बड़ा जीनोम अनुक्रम होता है। ऐसा वायरस पहली बार 1981 में समुद्र में खोजा गया था। वे आमतौर पर समुद्र में शैवाल को संक्रमित करते हैं। लेकिन यह पहली बार है कि इस तरह की जगह पर विशाल वायरस खोजा गया है। शोधकर्ता फिलहाल इसे एक बुरी खबर नहीं मान रहे हैं। उनका मानना है कि विशाल वायरस किसी प्रकार के गुप्त हथियार के रूप में कार्य कर सकते हैं और बर्फ के पिघलने को कम कर सकते हैं। इससे जुड़ी स्टडी माइक्रोबायोम जर्नल में प्रकाशित की गई है।
बर्फ पिघलने को रोक सकता है? – लॉरा पेरीनी ने कहा, ‘हम वायरस के बारे में बहुत कुछ नहीं जानते, लेकिन मुझे लगता है कि वे शैवाल खिलने के कारण पिघलने वाली बर्फ को कम करने के तरीके में काम आ सकते हैं। यह कितने विशिष्ट हैं और यह कितना कुशल होगा, हम अभी तक नहीं जानते हैं। लेकिन हमें उनके कुछ सवालों के जवाब मिलने की उम्मीद है।’ टीम ने बर्फ की चादरों से नमूने इकट्ठे किए, जिनमें गहरे बर्फ के टुकड़े, लाल और हरी बर्फ शामिल थे। डीएनए के विश्लेषण के बाद शोधकर्ताओं को ज्ञात विशाल वायरस से मेल खाने वाले अनुक्रम मिले।
क्या होते हैं विशाल वायरस – आम तौर पर वायरस बैक्टीरिया से बहुत छोटे होते हैं। साइंस डेली के अनुसार, सामान्य वायरस का आकार 20-200 नैनोमीटर होता है। जबकि एक सामान्य बैक्टीरिया का आकार 2-3 माइक्रोमीटर होता है। दूसरे शब्दों में एक सामान्य वायरस बैक्टीरिया से लगभग 1000 गुना छोटा होता है। लेकिन विशाल वायरस 2.5 माइक्रोमीटर के आकार तक बढ़ते हैं। यह ज्यादातर जीवाणुों से बड़ा है। हालांकि यह इतने भी बड़े नहीं कि इन्हें नग्न आंखों से देखा जा सके। पेरीनी का कहना है कि इन्हें खोजने के लिए नियमित उपकरणों की जरूरत होती है। विशाल वायरस प्रकाश सूक्ष्मदर्शी से भी दिखाई नहीं देते।
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