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12 साल बाद छिन गई चीन की कुर्सी, जानिए कौन निकल गया है ड्रैगन से आगे


चीन के हाथ से एक और कुर्सी निकल गई। 12 साल से चीन दुनिया का सबसे बड़ा एमर्जिंग मार्केट बोरोअर बना हुआ था लेकिन अब वह इसमें पिछड़ गया है। चीन की इकॉनमी कई मोर्चों पर संघर्ष कर रही है और इंटरनेशनल इन्वेस्टर्स की उसमें दिलचस्पी कम हो गई है।
करीब दो दशक तक ग्लोबल इकॉनमी का इंजन रहा चीन अब कई मोर्चों पर पिछड़ने लगा है। 12 साल में पहली बार एमर्जिंग मार्केट बोरोअर के तौर पर सऊदी अरब ने उसे पछाड़ दिया है। सऊदी अरब ने इस साल 33.2 अरब डॉलर के इंटरनेशनल बॉन्ड जारी किए हैं जबकि चीन 23.3 अरब डॉलर के साथ दूसरे नंबर पर खिसक गया है। साउथ कोरिया 20 अरब डॉलर के साथ तीसरे और यूएई 18.5 अरब डॉलर के साथ चौथे नंबर पर है। सऊदी अरब की इकॉनमी का साइज चीन की जीडीपी के 16वें हिस्से के बराबर है। पिछले 12 साल से चीन सबसे बड़ा एमर्जिंग मार्केट बोरोअर बना हुआ था। लेकिन वहां ट्रेंड में बदलाव दिख रहा है। चीन में लोकल करेंसी बॉन्ड की खरीद में तेजी दिख रही है।
सऊदी अरब के शहजादे मोहम्मद बिन सलमान के विजन 2030 प्लान को विदेशी निवेशकों ने हाथोंहाथ लिया है। यही वजह है कि देश रेकॉर्ड तेजी के साथ इंटरनेशनल बॉन्ड जारी कर रहा है। चीन 18.536 ट्रिलियन डॉलर के साथ दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकॉनमी है जबकि सऊदी अरब की इकॉनमी का साइज 1.112 ट्रिलियन डॉलर है। पहली तिमाही में सऊदी अरब की जीडीपी में 1.8 फीसदी गिरावट देखने को मिली। पिछले साल की चौथी तिमाही में भी कंपनी की जीडीपी में 3.7% गिरावट आई थी। तेल उत्पादन में कटौती और कच्चे तेल की कीमत में गिरावट से देश की इकॉनमी प्रभावित हुई। सऊदी अरब दुनिया में कच्चे तेल का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है।
चीन की स्थिति – चीन की इकॉनमी पिछले कुछ समय से कई मोर्चों पर संघर्ष कर रहा है। अमेरिका के बाद यूरोपीय देशों के साथ भी उसका तनाव चल रहा है। सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी रियल एस्टेट सेक्टर बेजान पड़ा है। इससे पूरी इकॉनमी के डूबने का खतरा पैदा हो गया है। इसकी वजह यह है कि देश की जीडीपी में रियल एस्टेट सेक्टर की 30 फीसदी हिस्सेदारी है। यही वजह है कि बड़ी संख्या में बैंकों के भी डूबने का खतरा पैदा हो गया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक बड़ी संख्या में चीन के अरबपति दूसरे देशों का रुख कर रहे हैं। इस साल 15,000 से अधिक चीनी अरबपति देश छोड़ने की तैयारी में हैं। इनमें से ज्यादातर लोग अमेरिका का रुख कर रहे हैं।