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अफगानिस्‍तान से चीन ने निकालना शुरू क‍िया ‘खजाना’, तालिबान भी होगा मालामाल, ड्रैगन का प्लान कामयाब


अफगानिस्तान में मौजूद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी तांबे की खदान में खनन परियोजना बुधवार को शुरू हो गई। बुधवार को एक समारोह में चीनी राजनयिकों और तालिबान अधिकारियों की मौजूदगी में इसकी शुरुआत हुई। कार्यक्रम में तालिबान के आर्थिक मामलों के उप प्रधानमंत्री अब्दुल गनी बरादर भी शामिल हुए।
हाइलाइट्स
तालिबान के शासन में आने के बाद अफगानिस्तान के सबसे बड़े खजाने को निकालने का काम चीन ने शुरू कर दिया है। चीनी इंजीनियरों और तालिबान सरकार ने बुधवार को अफगानिस्तान में मौजूद दुनिया के दूसरे सबसे बड़े तांबे के भंडार के खनन पर काम शुरू किया। अनुमान है कि काबुल से 40 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में स्थित मेस आयनक में 1.15 करोड़ टन तांबे का भंडार है। इलेक्ट्रॉनिक्स की वस्तुओं में इस्तेमाल होने के चलते इसकी कीमत तेजी से बढ़ती है। साल 2008 में चीन की सरकारी कंपनी ने 3 अरब डॉलर के सौदे के तहत इस भंडार के खनन का अधिकार हासिल किया था, लेकिन अफगानिस्तान में अमेरिकी नेतृत्व वाले गठबंधन और तालिबान विद्रोहियों के बीच युद्ध के कारण इसे कभी शुरू नहीं किया जा सका था।
बुधवार को शुरू हुआ परियोजना पर काम – पाकिस्तानी मीडिया आउटलेट ट्रिब्यून की खबर के अनुसार, बुधवार को खननकर्ताओं ने दूरस्थ साइट पर काम शुरू किया। इस मौके पर आयोजित समारोह में तालिबान के अधिकारियों ने बीजिंग के राजनयिकों और व्यापारियों के साथ हिस्सा लिया। इसमें तालिबान सरकार में आर्थिक मामलों में उप प्रधानमंत्री अब्दुल गनी बरादर भी शामिल थे। बरादर ने वहां मौजूद लोगों से परियोजना के शुरू होने में हुई देरी की भरपाई के लिए तेजी काम करने की अपील की।
अगस्त 2021 में अमेरिका और उसके सहयोगियों की वापसी के बाद तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद से अफगानिस्तान में हिंसा में कमी आई है। देश में अधिकांश विद्रोहियों पर नियंत्रण हासिल करने के बाद अब तालिबान सरकार अफगानस्तान के प्राकृतिक संसाधनों के विशाल भंडार का दोहन करने के लिए तेजी से कदम बढा रही है। तालिबान अधिकारियों ने कहा है कि चीन का मेटलर्जिकल ग्रुप कॉर्पोरेशन खनन के काम में लगा है और पहला तांबा निकाले जाने में कम से कम दो साल लगेंगे।
तांबे की बढ़ती कीमत करेंगी मालामाल – तांबे के इस विशाल भंडार से चीन ही नहीं, तालिबान के भी मालामाल होने की उम्मीद है। मई में तांबे की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थीं। विशेषज्ञों का कहना है कि इलेक्ट्रिक वाहनों, पवन टर्बाइन जैसी ऊर्जा परियोजनाओं और कृत्रिम बुद्धिमत्ता की बढ़ती मांग से इसकी कीमतो में आगे भी उछाल आएगा। बिजली की खपत वाले उपकरणों में तांबे एक महत्वपूर्ण घटक है। दुनिया भर में तांबे की खपत का आधे से ज्यादा इस्तेमाल अफगानिस्तान का पड़ोसी चीन करता है।
चीन की रणनीतिक कर रही काम – चीन उन कुछ चुनिंदा देशों में है, जिसने 2021 में अमेरिका की वापसी के बाद काबुल में मौजूदगी बनाए रखी है। चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने तालिबान के प्रतिनिधियों का बीजिंग में स्वागत भी किया है। चीन की नजर अफगानिस्तान में मौजूद विशाल प्राकृतिक भंडार पर है। अमेरिकी जियोलॉजिकल सर्वे के अनुमान के अनसार, अफगानिस्तान में 1 ट्रिलियन डॉलर की खनिज संपदा मौजूद है।